Ashwatha Tree की ऑनलाइन मार्केट में धूम, बुक्स के कैरेक्टर बच्चों के अग्रेशन करते हैं दूर

जब बच्चे या किशोर बहस करते हैं, चिल्लाते हैं, थूकते हैं , मारते हैं, आक्रामक हो जाते हैं, या किसी भी प्रकार का ऐसा व्यवहार करते हैं, जो शायद ही किसी को पसंद हो लेकिन आप उसे हलके में लेते हैं ये सोचकर कि वह अभी बच्चा है। लेकिन आपका यह इग्नोर करना बच्चे के भविष्य के लिए बढ़िया नहीं है। आपके बच्चे में इस तरह के व्यवहार की बढ़ती प्रवृत्ति आपको आपके घर में आनेवाले मेहमानों के सामने शर्मिंदा कर सकता है। तो आखिर क्या करें जिससे आपके बच्चा इस तरह का व्यवहार न करे।

देखा जाए तो 5 साल से लेकर 11 साल तक की उम्र के बच्चों में इस तरह का स्वभाव ज्यादा देखा जाता है। इस उम्र के बच्चे आजकल सबसे ज्यादा जिद्दी होते हैं। अपनी हर बात मनवाने के लिए वो अपने मां-बाप से जिद्द करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि आपके बच्चे में पनपता यह व्यवहार उनमें बचपन से नहीं था बल्कि उनके इस रवैये के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार मोबाइल और टेक गैजेट हैं। ऐसे बच्चों को पालना और समझाना भी बहुत मुश्किल होता है। लेकिन कुछ ऐसी बातें हैं जिनपर पैरेंट्स अगर ध्यान दें तो इस तरह के व्यवहार शो करनेवाले या मनमानी करने वाले जिद्दी बच्चों को कुछ ही समय में ठीक किया जा सकता है।

बच्चों का ध्यान बुक्स की तरफ खींचें

अगर आपका बच्चा जिद्दी है तो उसकी बुरी बातों पर ज्यादा ध्यान न देते हुए कोशिश करें कि उसका ध्यान किसी और तरफ खींचें। जैसे बाजार में कई पब्लिकेशंस की बुक्स हैं, जो स्पेशली बच्चों के लिए ही बुक्स तैयार करती हैं। ऐसी पब्लिकेशन में इस समय अश्वत्था ट्री भी है, जिसने ऑनलाइन मार्केट में धूम मचा रखी है। इस पब्लिकेशन की बुक्स की खासियत ये है कि जिद्दी बच्चों का ध्यान बहुत तेजी से बुक्स के कैरेक्टर के चित्रों और उसमें भरे गए चटकीले रंगों से खींच सकते हैं। और एकबार जब बच्चे का ध्यान आप इन कैरेक्टर की तरफ खींच कर अपने बगल में बैठा लेते हैं तो वो इस मूड में आ जाता है कि आपकी दो-चार बातें वो सुन ले। और जब आपसे वो बातें करने लगेगा तो तय मानिये उसकी शैतानी यहीं ठहर जाएगी और वो अश्वत्था ट्री की बुक्स में इंट्रेस्ट लेने लगेगा। सच्चाई ये है कि कई बार बच्चे सिर्फ अटेंशन पाने के लिए जिद्द करते हैं और अश्वत्था ट्री ने अटेंशन दे दिया है उन्हें अपने चित्रों और स्टोरी प्रेजेंटेशन की स्टाइल द्वारा। तो जरूरत है बच्चे को सही गाइडेंस देने की और अश्वत्था ट्री की कहानियां आपके बच्चों के लिए एक बेहतरीन गाइडेंस की तरह ही है।

बुक्स कैरेक्टर हैं आपके बच्चों के बेस्ट फ्रेंड

अश्वत्था ट्री की डायरेक्टर और राइटर तुलिका सिंह ने इन कहानियों को खुद ही लिखा है और इन बुक्स की कहानियों की खासियत है कि उनके कैरेक्टर को बच्चे अपने आप से आसानी से जोड़ लेते हैं क्योंकि बुक्स के कैरेक्टर हमारे बीच से हैं। हमारी सभ्यता-संस्कृति से कनेक्टेड हैं। आप अपने बच्चे को 15-20 दिन इस तरह की बुक्स को पढ़ने की आदत डेवलप करें, तय मानिये आपका बच्चा मनमानी करना छोड़ देगा और जल्द ही उसमें बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे, क्योंकि आपका बच्चा इन बुक्स को पढ़ने के दौरान ही एक बेस्ट फ्रेंड बना चुका है और वो बेस्ट फ्रेंड है बुक्स का कैरेक्टर, तो बच्चे में बदलाव आने स्वाभाविक हैं।

वर्ल्ड बुक फेयर में धूम

अभी हाल ही में प्रगति मैदान में वर्ल्ड बुक फेयर लगा था, जिसमें दुनियाभर के पब्लिकेशंस ने इस फेयर में भाग लिया था और कई स्टाल्स लगाए थे। बात करें बच्चों की बुक्स को लेकर तो अश्वत्था ट्री के बुक्स को पाठकों ने, पैरेंट्स ने काफी सराहा। बुक्स के कलरफुल पेजेज और उनके कैरेक्टर के बीच जो रंग भरे गए हैं वो बच्चों को और उनके पैरेंट्स को काफी पसंद आ रहे हैं। बुक्स की स्टोरीज में जिस तरह से कैरेक्टर को प्रेजेंट किया गया है, वो यह बताता है कि राइटर ने बुक्स को लिखने से पहले कितना रिसर्च किया है, जिसे बुक फेयर में आए पैरेंट्स ने भी महसूस किया और इसीलिए वे अपने बच्चों के लिए अश्वत्था ट्री की बुक्स खरीद रहे थे।

बड़ी बात ये है कि बुक्स के पेजेज भले ही कुछ न बोलें लेकिन जिस तरह से अश्वत्था ट्री ने बच्चों के लिए कहानियों को बुना है, उनके कैरेक्टर बच्चों से बातें करते हैं, उनमें शांत स्वभाव को बढ़ाते हैं, जिद्दी बच्चों में अग्रेशन को कम करते हैं और इसका नतीजा जल्द देखने को मिलता है कि बच्चे धीरे-धीरे आपकी बातें सुनने-समझने लगते हैं, और आप भी अपने बच्चों में इस बदलाव को देखकर उनसे अच्छे मूड में बातें करने लगते हैं।

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