आप उड़ते कॉमिक्स कैरेक्टर को पढ़ सकते हैं, ये भी संभव है कि आपके ख्याल पलभर में उड़ान भी भरने लगें, और इस तरह की बुक्स पढ़ने से होता भी ऐसा ही है, लेकिन जब आप वास्तविकता की धरातल पर पैर रखते हैं तो धड़ाम से गिरते हैं। आपका आत्मविश्वास हिल जाता है, आप कोई स्टेप्स उठाने में डरने लगते हैं। मोबाइल पर आनेवाला मैसेज भी आपको डराता है, ट्रेन पर चढ़ने से पहले भी आपको भीड़ की कल्पना से डर लगने लगता है। सोचा है कभी आपने, ऐसा क्यों होता है। क्योंकि आपने अपनी जमीन को ही छोड़ दी है, कल्पना के आकाश में विचरण करते-करते वास्तविकता से इतने दूर हो गए हैं कि सच्चाई का सामना करने से आपको डर लगने लगा है।
जमीन से कटते बचपन के कारण आजकल छोटी बात पर भी घबरा जाना या बेचैन हो जाना, हर समय किसी चीज का डर बना रहना, उस काम के बारे में सोच-सोचकर तनाव में आ जाना, दिल की धड़कन का अचानक बढ़ जाने जैसी कई तरह की समस्याएं बच्चों में सुनने को मिल रही हैं। देखा जाए तो यह एक तरह की मानसिक बीमारी है, जो अधिकतर तब होती है, जब आपके मन में किसी बात को लेकर बहुत अधिक डर बैठ जाता है या किसी तरह का दबाव होने पर आप बहुत अधिक बेचैन महसूस करते हैं। ऐसा नहीं कि इस तरह की परेशानियां अचानक देखने को मिलती हैं, बल्कि धीरे-धीरे ये बच्चों में घर कर जाती हैं और इसका बेहतर समाधान है काउंसिलिंग। और काउंसिलिंग के लिए पैरेंट्स और पुस्तकों से बेहतर कुछ नहीं हो सकता लेकिन किस पब्लिकेशंस की पुस्तकें पढ़ी जाएं, किसकी नहीं, आज के समय में फैंटेसी कॉमिक्स, आसमान में उड़ते उनके कैरेक्टर और टीवी पर डिस्ट्रक्टिव चायनीज सिरियल्स के बीच एक चुनौती है।
हवा-हवाई नहीं, अश्वत्था ट्री में हैं जमीन से जुड़े कैरेक्टर
आपको आपकी संस्कृति, अपनी सभ्यता, अपने गांव-समाज की कहानियां, उनके कैरेक्टर सब बेगाने लगने लगते हैं, तो जब आपके बच्चे उस समाज से ही कट गए हैं, उस माहौल से ही दूर हो गए हैं, जिस माहौल में वे सांस ले रहे हैं, जो समाज उनके इरादों को मजबूती दे रहा है तो वे भला कहां से अपने अंदर आत्मविश्वास पैदा कर सकेंगे। दीवारों पर चढ़नेवाला कैरेक्टर, हवा में उड़नेवाला कैरेक्टर आपके व्यक्तित्व को भी हवा-हवाई ही बनाएगा, लेकिन घबराने की बात नहीं, बाजार में कई ऐसे पब्लिकेशंस हैं, जिनकी पुस्तकों को पढ़कर आप अपने आसपास के लोगों से, समाज से, संस्कृति से जुड़कर अपना खोया हुआ आत्मविश्वास फिर से पा सकते हैं। इन पब्लिकेशंस की खासियत है कि वे खासतौर से बच्चों के लिए ही पुस्तकें प्रकाशित करती हैं। उनका भटकाव कहीं और नहीं है और यही खासियत इन पब्लिकेशंस को दूसरे पब्लिकेशंस से अलग करती है। बाजारवाद से दूर इन पब्लिकेशंस की पुस्तकें बहुत ही कम दाम पर ऑनलाइन उपलब्ध हैं, न बाजार जाने का झंझट और न ही दूसरे पब्लिकेशंस की तरह बच्चों के बहाने लूट मचाने या बारगेनिंग करने की झंझट।
ये किताब नहीं, मेरे बच्चे हैं
ऑनलाइन मार्केट में आजकल अश्वत्था ट्री पब्लिकेशन बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। इस पब्लिकेशन की डायरेक्टर हैं तुलिका सिंह। खास बात है कि अश्वत्था ट्री के बैनर तले पुस्तकों का लेखन-संपादन भी खुद डायरेक्टर तुलिका सिंह ही करती हैं। वे कहती भी हैं, ये किताब नहीं, मेरे बच्चे हैं। लेखिका का अपनी लिखी गई पुस्तकों से इतना लगाव यह बताने के लिए काफी है कि उन्होंने अपनी बुक्स के माध्यम से बच्चों में कैसे संस्कार डेवलप करने की कोशिश की है। लेखिका ने बच्चों के लिए जो किताबें लिखी हैं, वो आम किताबों या कॉमिक्स कैरेक्टर से हटकर हैं। इन किताबों के कैरेक्टर हमारे बीच के ही हैं, जिससे उनसे जुड़ना बहुत आसान होता है। हमारी सभ्यता-संस्कृति से जुड़े वाक्या को उन्होंने बहुत ही रोचक अंदाज में चित्रों के माध्यम से बताने की कोशिश की है, जो पढ़ते वक्त आंखों के सामने लाइव दिखती हैं। हाल ही में वर्ल्ड ट्रेड फेयर में अश्वत्था ट्री की पुस्तकों ने काफी धूम मचाई थी। बच्चों के साथ ही, पैरेट्ंस और यहां तक कि साधु-संन्यासियों ने भी अश्वत्था ट्री पब्लिकेशन की किताबों को सराहा था।
हम छोटी-छोटी परेशानियों में भी तुरंत दवाइयों या डॉक्टरी सलाह की तरफ बढ़ जाते हैं लेकिन उस परेशानी के बारे में नहीं सोचते। अगर डिप्रेशन है, एंजाएटी है तो लाइफस्टाइल में बदलाव से इसे दूर किया जा सकता है। हो सकता है आपके आसपास कई ऐसे लोग हों, जो कहते हों कि उन्हें एंग्जाइटी डिसऑर्डर है या उन्हें एंग्जाइटी अटैक आते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ये एंग्जाइटी डिसऑर्डर है क्या? कई बार लोग इस डिसऑर्डर से पीड़ित भी होते हैं, हालांकि जानकारी के आभाव में समय रहते इसके बारे में समझ नहीं पाते हैं, जिससे धीरे-धीरे ये समस्या डिप्रेशन जैसी गंभीर स्थिति का कारण बन जाती है।
तितली बन आती मीठी नींद
आपके बच्चों को किसी तरह की दिक्कत हो और अगर आपको लगता है कि डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए तो जरूर लें लेकिन ये जानना भी बहुत जरूरी है कि बेहतरीन विचारों से युक्त पुस्तकों को पढ़ने की अगर आदत डेवलप की जाए, योग को अपनाया जाए तो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर करने में इससे मदद मिलती है, बल्कि इसकी मदद से मानसिक परेशानियों से भी निजात पाई जा सकती है। आप अगर हवा-हवाई कैरेक्टर को पढ़ेगे, तो तय मानिये उन कैरेक्टर से कभी बेहतर संस्कार की उम्मीद बेमानी है, आपके बच्चों में बेहतर संस्कार तभी डेवलप होंगे, जब उनसे जुड़े कैरेक्टर, उनकी संस्कृति से जुड़ी घटनाओं को पढ़ने का उन्हें मौका मिले। अश्वत्था ट्री की बुक्स इस मामले में काफी उपयोगी हैं। इसके कैरेक्टर बहुत कूल हैं और सबसे खास बात कि लेखिका ने कहानी का तानाबाना इस तरह से बुना है कि आप किताबें बंद करने के बाद भी सोते समय उनके कैरेक्टर से खुद को जुड़ा हुआ पाते हैं, बातें करते हैं, घटनाओं को याद कर रोमांचित होते हैं और फिर एक मीठी निंद कब आंखों पर तितलियों की तरह बैठ जाती है, पता ही नहीं चलता। और अगर आपके बच्चे अच्छी नींद लेते हैं तो यह एंजायटी को दूर करने में काफी मदद कर सकती है। अगर आपके बच्चे रात को पूरी नींद लेतें हैं तो इससे वे दिनभर फ्रेश फील करेंगे और नकारात्मक विचार उनपर हावी नहीं हो पाएंगे।
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