आपका बच्चा साइबर-बुलिंग का शिकार तो नहीं, Ashwatha Tree की बुक्स आपके बच्चों के कॉन्फिडेंस को करेंगी बिल्डअप

बहुत जतन से आप अपने बच्चे को पाल-पोस कर बड़ा करते हैं। अचानक पता चलता है कि आपके बच्चे के साथ कुछ गलत हो रहा है, जिसके कारण वो खोया-खोया सा रहता है। फिर जब बच्चे का रिजल्ट आता है तो आपके सिर पर आसमान गिर पड़ता है, क्योंकि बच्चे का जो मार्क्स आया है, उसे देखकर आपको ये उम्मीद नहीं थी। आपका बच्चा फेल हो गया है लेकिन ये रिजल्ट अचानक नहीं आया, बल्कि आपने जब बच्चे में पहली बार कुछ अनजाना सा डर, अनजाना सा बदलाव देखा था तो इसे गंभीरता से नहीं लिया था। क्या कभी आपने सोचा है कि इस सबके पीछे वजह साइबर बुलिंग भी हो सकती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में स्कूली बच्चों के बिहेवियर पर एक स्टडी की है। स्टडी कहती है कि दुनियाभर के 44 देशों में साइबर बुलिंग का बच्चे शिकार हो रहे हैं और दुनियाभर के 44 देशों में हर छठे बच्चे इसकी जद में है। साइबर बुलिंग से उनकी हेल्थ, पढ़ाई और उनकी लाइफ स्टाइल पर भी असर पड़ा है। कई बच्चे डिप्रेशन और एंग्जाइटी से जूझ रहे हैं। साइबर बुलिंग बच्चों में सुसाइड की भी वजह बन रहा है।

पहले जान लेते हैं कि साइबर बुलिंग है क्या? साइबर बुलिंग का मतलब है कोई सोशल मीडिया के जरिए आपके बच्चे को परेशान कर रहा है, कोई धमकी दे रहा है, या किसी भी तरह से उसका कॉन्फिडेंस लो कर रहा है। मतलब आपके बच्चे से किया गया वो व्यवहार जिसे ऑनलाइन माध्यमों जैसे सोशल मीडिया, चैटिंग एप्स और सोशल साइट्स के माध्यम से जानबूझकर अंजाम दिया जा रहा है, जिससे आपके बच्चे के कोमल मन को ठेस पहुंचती है, वो अपने दोस्तों के बीच भी झिझक के साथ पेश आता है।

देखा जाए तो आप साइबर बुलिंग को नहीं रोक सकते, हां अपने बच्चे के कॉन्फिडेंस को बढ़ाकर उससे बचने या उसका सामना करने की सलाह जरूर दे सकते हैं और यही है सही पैरेंटिंग। बाजार में कई पब्लिकेशंस की पुस्तकें हैं, जो आपके बच्चों की पर्सनैलिटी को कई तरह से स्ट्रॉन्ग कर सकती हैं, जो साइबर बुलिंग जैसे हमलों से आपके बच्चे को भी बचा सकता है। ऐसे ही तमाम पब्लिकेशंस की पुस्तकों में अश्वत्था ट्री पब्लिकेशंस की भी पुस्तकें हैं। अश्वत्था ट्री की डायरेक्टर और राइटर तुलिका सिंह ने बच्चों को कनेक्ट करने के लिए पुस्तकों में जो एनिमेशन गढ़ा है, वो घटनाओं, टीचिंग लेशंस से बच्चों को कनेक्ट करते हैं और बहुत ही रोचक लगते हैं, जिसे बच्चे भी बहुत आसानी से उसे आत्मसात कर लेते हैं। तुलिका सिंह के पब्लिकेशन में बहुत सारे बुक्स ऑप्शन है। उन्होंने एक से बढ़कर एक रोचक किताबें लिखी हैं। जब आप उन किताबों को पढ़ते हैं, तो लेखिका की लेखन शैली ऐसी है कि आप कहानी के पात्रों और आस-पास की घटित घटना से जोड़ने की कोशिश करते हैं। ऐसे में आप इन बातों को याद करने का नया तरीका निकालते हैं। इसके अलावा जब आप अश्वत्था ट्री की पुस्तकों को पढ़ते हैं, तो उसे प्रदर्शित करने की भी इच्छा होती है। इसके बाद जब आप पढ़े हुए विषय पर चर्चा करते हैं, तो आपको बहुत चीजें याद हो जाती हैं। तो गलत चीजों से ध्यान हटाने और उनसे निपटने के लिए आत्मविश्वास का जो संचार बच्चों में होना चाहिए, वो अश्वत्था ट्री की बुक्स के माध्यम से आसानी से संभव है।
और बच्चों के लिए किताबें उनके कॉन्फिडेंस को बिल्डअप करने के लिए बहुत जरूरी भी है। किताबी ज्ञान के अलावे अन्य पुस्तकों के पठन-पाठन की अपने बच्चों में आदतों को लेकर आपको गंभीर रहना ही होगा क्योंकि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की एक स्टडी भी बताती है कि साइबर बुलिंग के शिकार बच्चों में सुसाइड करने के विचार चार गुना बढ़ जाते हैं। हां, इतना जरूर करें कि अगर मामला काफी बिगड़ गया है तो ये सब करते हुए स्कूल में प्रिंसिपल या उसके क्लास टीचर को तो जरूर बताएं, लेकिन जरूरत है उस बच्चे के साथ सहानुभूति के साथ उसकी सारी बातें सुनने की। विशेष परिस्थिति में पुलिस से भी इसकी शिकायत की जा सकती है।

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