दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं, एक जो केवल अपने बारे में सोचते हैं और दूसरे जो हमेशा दूसरों के लिए जीते हैं। दूसरों के लिए जीने वालों को हमेशा ही बेहतर इंसान का दर्जा दिया जाता है, कुछ इसी तरह की सीख है अश्वत्था ट्री की डायरेक्टर और राइटर तुलिका सिंह की पुस्तक द सेंट ऑफ पिंगलवाड़ा में, जो बताता है कि यह शरीर मिला ही दूसरों के उपकार करने के लिए। अपने लिए जीना, जीना नही हैं, दूसरों की सहायता और कल्याण के लिए जीना ही जीना माना जाता है। यही इंसानियत है।
अश्वत्था ट्री की हर बुक्स एक नई सीख
वैसे तो अश्वत्था ट्री की हर पुस्तक एक नई सीख लेकर आती है लेकिन अगर बात करें द सेंट ऑफ पिंगलवाड़ा की तो इसमें परोपकार की सीख बहुत ही प्रबल है। सच्चाई भी यही है कि व्यक्ति को कभी स्वार्थी नहीं होना चाहिए। क्योंकि स्वार्थ व्यक्ति को अपने स्वजनों एवं समाज से दूर ले जाकर नकारात्मक हालातों की ओर धकेलता है। होता क्या है कि उस व्यक्ति को लगता है कि उसने क्या बुरा किया और किसका बुरा किया, जो उसे नकारात्मक परिणाम झेलने पड़ रहे हैं। लेकिन वह भूल जाता है कि जीवन के कई सोपान पर उसने सिर्फ अपने बारे में सोचा, किसी की वो मदद भी करता है तो वो उसमें भी अपनी मदद सबसे पहले देखता है और यही अश्वत्था ट्री की द सेंट ऑफ पिंगलवाड़ा में संदेश है कि त्याग ही धर्म है, दूसरों के जीना ही सच्चा जीना है, क्योंकि खुद के लिए जीनेवाला व्यक्ति हमेशा खुद को अकेला पाता है।
ऑनलाइन यहां से खरीदें बुक्स
आपने देखा होगा कि बच्चों में ये प्रवृत्ति होती है कि वो अपना सामान दूसरों को नहीं देते। चाहे को चॉकलेट हो या खिलौना, वे दूसरों का भी छीन लेते हैं। आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है, क्योंकि हमने कभी इस सीख की ओर ध्यान ही नहीं दिया। अगर बच्चे को आपने चॉकलेट दिया है तो उसे सिखाइये कि वो उसके दो-तीन टुकड़े कर आसपास खड़े बच्चों से भी शेयर करे तो दूसरे दिन से वो बच्चा कभी अकेले उस चॉकलेट या खिलौने के साथ नहीं खेलेगा या खायगा। अश्वत्था ट्री की हर पुस्तक इस तरह की नई सीख लेकर ऑनलाइन मार्केट में उपलब्ध है। इसे ईकॉमर्स कंपनी आमेजन से भी आप खरीद सकते हैं।
कैरेक्टर के डायलॉग्स एक मैसेज की तरह
अश्वत्था ट्री की डायरेक्टर और राइटर तुलिका सिंह ने बुक्स लिखने से पहले एक-एक कैरेक्टर पर काफी रिसर्च किया है। सच्चाई और उचित मानवीय गुणों से भरपूर हैं बुक्स के कैरेक्टर के डायलॉग्स, जिसके माध्यम से तुलिका सिंह ने कोशिश की है कि समाज में एक अच्छा जनमत तैयार कर सकें, एक अच्छा संदेश दे सकें, क्योंकि आज के बढ़ते हुए भौतिकवादी युग ने मानव को और भी ज्यादा अवसरवादी एवं स्वार्थी बना दिया है। भौतिक सुखों की चाह में व्यक्ति स्वार्थ वश अंधा हो जाता है और उसके अंदर लालच एवं अवसरवादी सोच विकसित हो जाती है। धीरे-धीरे यह गुण उसके व्यक्तित्व में स्थायी हो जाता है, जिससे हमारे घर में, समाज में पल रहे बच्चे भी अछूते नहीं रह जाते। तो हमारे समाज से विलुप्त होते मानवीय गुणों को अगर बचपन में ही शामिल किया जाए तो वह एक नई पौध का सृजन करेगी।
देश-विदेश में अश्वत्था ट्री के बुक्स के खरीदार
अभी हाल ही में फरवरी में दिल्ली के प्रगति मैदान में विश्व पुस्तक मेला लगा था, जिसमें अश्वत्था ट्री की बुक्स को काफी सराहा गया था। विजिटर्स ने अश्वत्था ट्री के रामायण पर आधारित पुस्तकों को काफी सराहा। दूसरी जो सबसे खास बात विजिटर्स ने कही, वो ये कि एवेंजर्स और हैरी पॉर्टर से ज्यादा बेस्ट आप्शन अश्वत्था ट्री ने उपलब्ध कराई हैं। तुलसीदास की रामायण को भी विजिटर्स ने काफी पसंद की। पुस्तक मेला से पहले अश्वत्था ट्री की पुस्तकें बच्चों के बीच काफी धूम मचा रही थीं, लेकिन पुस्तक मेले में देश-विदेश तक भी ये पुस्तकें पहुंची और यही कारण है कि आज ऑनलाइन मार्केट में भी अश्वत्था ट्री की बुक्स काफी धूम मचा रही हैं।
बच्चों में खूब पसंद की जा रही हैं Ashwatha Tree की कहानियां…
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— Ashwatha Tree Books (@Ashwathatree) February 19, 2024
शेयर करना सीखते हैं बच्चे
अश्वत्था ट्री की डायरेक्टर और राइटर तुलिका सिंह अपनी पुस्तकों के माध्यम से बखूबी निभा रही हैं। बुक्स राम पर हो या लक्ष्मण पर या फिर वेदों की बात हो, अश्वत्था ट्री अपने बुक्स के माध्यम से लगातार कोशिश कर रहा है कि बचपन में ही ये गुण डेवलप हों कि बच्चे अपने दोस्तों के बारे में भी सोचें, वे स्वार्थी न बनें और अपनी चीजों को भी मिल-बांट कर या शेयर करना सीखें, ताकि वे अपनों के करीब रहें। इस गुण के डेवलप होने पर वे बड़े होने पर अपने आसपासइस के लोगों के करीब होते हैं। किसी भी परेशानी में काफी लोग उनके सपोर्ट में खड़े मिलेंगे और फिर देखिए इन गुणों को अश्वत्था ट्री के बुक्स से डेवलप कर बच्चे कितनी आसानी से अपना स्वप्निल संसास गढ़ लेते हैं। सबसे खास बात कि अगर बच्चों के अंदर इन बुक्स को पढ़ने की आदत आप डेवलप कर लेते हैं तो वे मोबाइल, टैबलेट जैसे गैजेट्स से दूर हो जाते हैं, जिससे बच्चों की आंखों की रोशनी, उनका चिड़चिड़ापन, जिद्दी होने जैसे नये-नये पनप रहे अवगुण भी दूर हो जाते हैं और बच्चों में आपको भी व्यावहारिक तौर पर बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। जैसे कि बच्चा आपका कहा मान रहा है, उसे इन बातों का एहसास होगा कि पैरेंट्स किस तरह से और कितना मुश्किल से उसकी परवरिश कर रहे हैं, उसके हर छोटी-बड़ी जरूरतों का ध्यान रख रहे हैं। मतलब एक बुक्स ने आपके लाडले सहित पूरे परिवार की जिंदगी बदल दी, ये बाजार में उपलब्ध आजकर के सपने बुनने वाले कॉमिक्स से संभव नहीं है।
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