आजकल बच्चों की एक समस्या सामान्य होती जा रही है, वो है मोबाइल फोन और इंटरनेट का हद से ज़्यादा उपयोग। ये एक ऐसा आकर्षण या लत बन गई है जिसका सीधा संबंध बच्चे के मानसिक विकास और कॅरियर से होता है। यदि बच्चों से मोबाइल छीन लिया जाए या इंटरनेट एक्सेस नहीं दिया जाए तो वे और ज़्यादा बौखला जाते हैं। ऐसे में बहुत जरूरी है कि बच्चों के फोन उपयोग करने के समय को निर्धारित किया जाए। फोन से जुड़ाव कम होगा तो पढ़ाई से बढ़ेगा।
घर में ही बेस्ट फ्रेंड्स तो दूर क्यों जाएं
जब भी आप तनावपूर्ण महसूस करते हैं, मन कभी शांत न लगे तो आप अपने सगे-संबंधियों और अपने दोस्तों के बीच बैठ जाते हैं। उनके साथ मस्ती-मजाक, गपशप कर लेते हैं, जिससे आपको खुशी और ताजगी मिल जाती है लेकिन क्या आपने सोचा है कि आपका बच्चा जब मायूस होता है तो क्या करे। आखिर वो मायूस क्यों होता है। वो बहुत छोटा है, अपने दोस्तों के साथ न तो फिल्म देख सकता है और न ही सुबह या शाम सैर पर जा सकता है। जरूरत है उसमें कुछ ऐसी हैबिट्स डेवलप करने कि जिससे उसे कभी अकेलापन नहीं लगे। कभी आप काम में भी बिजी हों या ऑफिस में बिजी हों तब भी उसके पास कुछ ऐसे ऑप्शन हों, जिससे वो खुद को एंटरटेन कर सके। वो टीवी देख सकता है, लेकिन आखिर कब तक। वो खेल सकता है लेकिन अगर रात हो गई हो तो उसकी सेफ्टी कंसर्न के कारण आप बाहर नहीं भेज सकते। लेकिन एक बेहतरीन ऑप्शन है जिसे फॉलो कर उसे घर में ही बेस्ट फ्रेंड्स से मिला सकते हैं, वो उनसे बातें कर सकता है, उनसे काफी कुछ सीख सकता है। और वो बेस्ट ऑप्शन हैं अश्वत्था ट्री की पुस्तकें। जी हां, अश्वत्था ट्री एक ऐसा पब्लिकेशन है, जिसके बुक्स की ऑनलाइन मार्केट में काफी धूम है। बच्चों के बीच इस पब्लिकेशन की पुस्तकों की इस बार के विश्व पुस्तक मेला में भी काफी धूम थी।अश्वत्था ट्री की डायरेक्टर और राइटर तुलिका सिंह ने खुद ही इन किताबों को लिखा है और इन किताबों की खासियत है कि ये बच्चों की भाषा में, उसकी सोच के पैरलल शब्दों-वाक्यों के माध्यम से कहानी के कैरेक्टर द्वारा निकलकर पन्नों पर उतरती हैं।
वेद नहीं पढ़ पाते तो अश्वत्था ट्री की बुक्स हैं न
हाल ही में दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित विश्व पुस्तक मेले में आए विजिटर्स ने अश्वत्था ट्री की बुक्स की मीडिया में जमकर तारीफ की। उन विजिटर्स को अश्वत्था ट्री की पुस्तकें काफी भाईं। विजिटर्स का कहना था कि अश्वत्था ट्री ने इंडियन स्टोरीज पर फोकस कर के बच्चों के लिए बहुत अच्छा काम किया है। साथ ही उन्होंने बताया कि मैथेलॉजिकल बुक्स की भी अश्वत्था ट्री में भरमार है, जो बच्चों के लिए बेस्ट ऑप्शन है। रामायण, महाभारत को लेकर भी अश्वत्था ट्री की बुक्स की विजिटर्स ने तारीफ की। सबसे बड़ी बात जो विजिटर्स को अश्वत्था ट्री की बुक्स में लगी, वो ये कि आप वेदों को नहीं पढ़ सकते, उपनिषद को नहीं पढ़ सकते क्योंकि आपके पास समय का अभाव है लेकिन अश्वत्था ट्री ने छोटी-छोटी स्टोरीज के माध्यम से इन वेदों, उपनिषदों को बताने की कोशिश की है, जिसे महज कुछ ही समय में पढ़ा जा सकता है, जो समय तो बचाती ही हैं, साथ ही बहुत आसानी से बच्चों को समझ में आने लायक भी हैं।
बच्चों में खूब पसंद की जा रही हैं Ashwatha Tree की कहानियां…
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लाजवाब हैं अश्वत्था के इलस्ट्रेशन
लेखिका तुलिका सिंह ने अपनी किताबों में इन बातों का विशेष ध्यान रखा है कि बच्चों की एज के अनुसार पुस्तकों में पात्रों के माध्यम से डायलॉग डिलिवरी की जाए ताकि बच्चों को स्टोरीज के कैरेक्टर उनके बीच के ही लगें और वे उनमें अपना बेस्ट फ्रेंड्स ढूंढ सकें। डायरेक्टर तुलिका सिंह ने इलस्ट्रेशन से लेकर ग्राफिक्स का विशेष ख्याल रखा है और वो सजीव दिखती हैं। दूसरी बात कि बुक्स के इमेजेज में बच्चों के पसंदीदा चटकीले कलर जैसे लाल, बैंगनी, हरा, केसरिया, पीला और ब्लू रंगों को भरने की भरसक कोशिश की है। बच्चों के प्रैक्टिकल स्वभाव को पात्रों के माध्यम से इन किताबों की स्टोरीज में गढ़ने का काम किया गया है।
रिश्तों को लेकर समझ डेवलप होती है
अश्वत्था ट्री की पुस्तकों की सबसे बड़ी खासियत ये हैं कि अन्य किताबों की तुलना में ये बहुत सस्ती हैं। लेखिका कहती भी हैं कि उनके लेखन का मूल उद्देश्य अपने समाज और संस्कृति से, परिवार के आदर्शों से बच्चों को परिचित कराना है। गैजेट्स की दुनिया में जिस तरह से बच्चे रिश्तों-नातों से कटते जा रहे हैं उनमें ये किताबें वरदान साबित हो रही हैं। और बच्चों में इन किताबों को पढ़कर रिश्तों की, समय की, इंसान की कीमत को लेकर समझ बनती है और धीरे-धीरे उनका व्यक्तित्व बहुत सुंदर होता जाता है।
संगत की पहचान कराते हैं अश्वत्था के बुक्स
दूसरी बात कि आजकल बच्चे कहां जाएं, किसके साथ खेलें, ये सबसे बड़ा मुद्दा है। भटकाव का सबसे बड़ा और पहला कारण संगत होती है। इस उम्र में मस्ती मजाक करना, दोस्तों के साथ घूमना-फिरना अच्छा है। लेकिन अगर संगत गलत हो तो भविष्य खतरे में पड़ सकता है, चूंकि किशोर इतने परिपक्व नहीं होते कि सही-गलत पहचान सकें। इसलिए माता-पिता बच्चे की संगत व दोस्तों की पूरी जानकारी रखनी पड़ती है जो अपने आप में बड़ी चुनौती है, लेकिन अश्वत्था ट्री की बुक्स इस मामले में बच्चों की काफी हेल्प करती है, क्योंकि इसकी कहानियां एक बेहतरीन मानवीय सीख पर आधारित होती हैं, जो कैरेक्टर के संवाद के माध्यम से बच्चों में अच्छे संस्कार भरती हैं। अन्य कहानियों की किताबों के कैरेक्टर की तरह इसके कैरेक्टर ख्याली दुनिया से दूर होते हैं और जमीनी सच्चाई पर आधारित होते हैं, जो बच्चों में अच्छे गुणों का विकास करती हैं।
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