बच्चों के ओवरऑल पर्सनैलिटी के लिए Ashwatha Tree Books का कोई ऑप्शन नहीं

आपका बच्चा हर पल कोर्स की किताबों में ही घुसा रहता है तो ये उसके मेंटल हेल्थ के लिए सही नहीं है। ऐसा नहीं कि बच्चा पेंटिंग, सिंगिंग, डासिंग या स्टोरीज बुक्स नहीं पढ़ना चाहता, बल्कि वो आपसे इतना डरा-डरा रहता है कि उसे लगता है कि कोर्स की किताबों से हटकर कुछ करने पर डांट पड़ सकती है। ऐसे में बच्चा बिना मन के भी मैथ्स और संस्कृत की किताबें लेकर बैठा रहता है। इसका रिजल्ट होता है कि बच्चा हमेशा तनाव में रहता है, न तो वह ठीक से खाने का समय निकाल पाता या न ही किसी एक्टविटी के लिए। उसे लगता है कि पढ़ने के सिवा वो जो भी कर रहा है, वो सब गलत है और वो बेकार में समय बर्बाद करना है। अगर बच्चे में ऐसी सोच डेवलप हो रही है तो आपको सावधान हो जाने की जरूरत है, क्योंकि आपका बच्चा आपकी सोच के कारण गलत ट्रैक पर है।

ऐसे में क्या करें कि बच्चे की पर्सनैलिटी का सर्वांगिण विकास हो। क्योंकि अगर बच्चा डांस कर रहा है, गाना गा रहा है, पेंटिंग कर रहा है या किसी बेस्ट पब्लिकेशंस की बुक्स पढ़ रहा है तो ये उसके ओवरऑल हेल्थ के लिए वरदान है। जरूरत है बच्चे को बाहरी दुनिया से जोड़ने की, जिससे वो व्यावहारिक ज्ञान में भी एक्सपर्ट हो। वैसे तो मार्केट में ऑनलाइन बुक्स की भरमार हैं लेकिन सही बुक्स का सेलेक्शन एक बड़ी चुनौती है। खासतौर पर ऐसे बुक्स की, जो आपके बच्चों में कॉपरेशन, मोरैलिटी और हेल्पिंग नेचर को डेवलप करे। आजकल मार्केट में बच्चों के लिए जो किताबें हैं, उनमें ख्याली बातों की भरमार है। बच्चा उसे पढ़ता तो है बड़ी पसंद से लेकिन उन बुक्स से उसके संस्कार भी प्रभावित होते हैं। आप ध्यान दें तो उन बुक्स के कैरेक्टर की संगत में आने से आपका बच्चा बहकी-बहकी बातें करने लगा है, आप लाख चिल्लाते रहें लेकिन पहले की तुलना में आपकी बातों पर ध्यान नहीं देता, न तो समय पर स्कूल का होमवर्क पूरा करता है और न ही अपने फ्रेंड्स से घुलता-मिलता है और ये डिसट्रैक्शन हाल ही में उन बुक्स के पढ़ने के बाद ही हुआ है। अगर ऐसा है तो सावधान हो जाएं, लेकिन चिंता एकदम न करें, क्योंकि ऑनलाइन मार्केट में कई सारे पब्लिकेशंस हैं, जो बच्चों के संस्कार, उनकी आदतों, उनके व्यावहारिक ज्ञान पर आधारित बुक्स पब्लिश कर रही हैं। ऐसी ही पब्लिकेशन में है अश्वत्था ट्री, जो इस समय ऑनलाइन बाजार में बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय है।

विचारों में विविधता और परिपक्वता

अश्वत्था ट्री की डायरेक्टर और राइटर तुलिका सिंह ने बच्चों के लिए एक से बढ़कर एक किताबें लिखी हैं। लेखिका के कहानी लिखने का अंदाज ऐसा है कि हम जब कहानियों को पढ़ते हैं तो हमारे दिमाग में एक कल्पना बनती है। इससे बच्चों में कल्पनाशीलता और उनकी सोच का दायरा बढ़ता है। ऐसे में उनका दिमाग क्रिएटिव हो जाता है। बच्चे जब उन पुस्तकों को पढ़ते हैं तो उन पुस्तकों में कहानी और उनके पात्र ऐसे हैं कि उनकी मुलाकात लगातार नए किस्म के विचारों से होती है। इससे उनके विचारों में विविधता और परिपक्वता आती है।

विश्व पुस्तक मेले में विजिटर्स ने ‘वन ऑफ द बेस्ट बुक्स’ बताया

इस साल की शुरुआत में दिल्ली के प्रगति मैदान में विश्व पुस्तक मेला में भी अश्वत्था ट्री की बुक्स को देश-दुनिया के विजिटर्स ने काफी पसंद किया। हनुमान चालिसा इस मेले का प्रमुख आकर्षण रहा। बुक्स की बड़ी साइज लोगों को काफी पसंद आई। अलग-अलग टॉपिक्स पर अश्वत्था ट्री की बुक्स काफी पसंद किये गए। दूसरी बात कि विजिटर्स ने इस बात को काफी पसंद किया कि धार्मिक कहानियों को इन बुक्स में काफी स्थान दिया गया है। विजिटर्स ने इन बुक्स के माध्यम से बच्चों में मोरल वैल्यूज, फैमिली वैल्यूज सोशल वैल्यूज के विकास में बहुत महत्वपूर्ण बताया। विजिटर्स ने अश्वत्था ट्री के बुक्स को वन ऑफ द बेस्ट बुक कहा, जो ये बताने के लिए काफी है कि बाजार में इस तरह की पुस्तकों की कितनी कमी है और यही कारण है कि अश्वत्था ट्री की डिमांड इतनी ज्यादा है।

जड़ों से कटते बचपन को रास्ता दिखाता अश्वत्था ट्री

अश्वत्था ट्री के बुक्स की खासियत है कि इसे काफी रिसर्च के बाद लिखा गया है। इसमें मैथेलॉजिकल बुक्स से लेकर प्रैक्टिकल नॉलेज पर आधारित बुक्स, हमारे समाज, संस्कृति से जुड़े मनीषियों की कहानी है, जिसे बच्चों ने कभी न कभी अपनी दादी-नानी की कहानियों में सुना है या फिर परिवार के सदस्यों को उन कैरेक्टर के बारे में पता है तो कभी भी बुक्स या उनके कैरेक्टर दूसरी दुनिया के लगते ही नहीं, और वे अपने बीच के ही लगते हैं। इसका परिणाम होता है कि बच्चे बहुत जल्द उन कैरेक्टर से जुड़ जाते हैं। उसमें अपनापन ढूंढ लेते है, जो उनके मेंटल हेल्थ के लिए बहुत खास बात है। जिससे बच्चों को उन कहानियों को पढ़ने में कभी बोरिंग फील नहीं होता। अश्वत्था ट्री की डायरेक्टर और राइटर तुलिका सिंह ने इन बुक्स को खुद ही लिखा है। वे कहती हैं कि ये बुक्स उन्होंने लिखा ही है भटकते बचपन को एक सही दिशा देने के लिए। तुलिका सिंह कहती हैं कि आजकल बच्चों के हाथ में गैजेट्स हमेशा देखे जाते हैं, जिससे बुक्स पढ़ने की उनकी आदत कम हो रही है, जिसका प्रभाव उनकी सोच, उनके करियर, उनके मेंटल हेल्थ पर पड़ता है। यही सोचकर हमने कोशिश की कुछ ऐसी किताबों के सृजन कि जो रोचक हों और बच्चों में उसे लेकर रूचि पैदा हो ताकि उनके हाथों से गैजेट्स को दूर किया जा सके और उनकी आंखों की रोशनी बचाई जा सके, उनके चिड़चिड़ापन को दूर किया जा सके और वे अपने पैरेंट्स के साथ भी समय बिता सकें, क्योंकि अश्वत्था ट्री के बुक्स की कहानियों के लेखन का जो तरीका है, उसका उद्देश्य ही है बच्चों में संस्कार पैदा करना, उनमें नैतिकता और परिवार जैसी संस्था की सोच को लेकर गुणों को विकसित करना।

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