एआई और चैट जीपीटी के जमाने में चुनौतियां काफी बढ़ गई हैं।अगर आप किसी भी प्रकार के कम्युनिकेशन कोर्स भी करने जाते हैं तो पहली सलाह यही होती है कि जितना हो सके आप किताबों को पढ़ने की आदत डेवलप करें। किताब पढ़ने से न सिर्फ ज्ञान बढ़ता है, बल्कि बोलने और लिखने की क्षमता में बढ़ोतरी होती है, क्योंकि एग्जाम हो या स्टेज परफॉर्मेंस, अगर आपका बच्चा एक्सप्रेस नहीं कर पाएगा तो मानकर चलिए कि उसकी जानकारी का कोई मतलब नहीं है। तो इसके लिए जरूरी हो जाता है कि आप अपने बच्चों में उन आदतों को डेवलप करें, जिससे उसमें एक्सप्रेस करने की कैपेसिटी बढ़े और वो लोगों के बीच में भी storyअपनी बातें रख सके।
बुक्स शब्दों की डिक्शनरी करें स्ट्रॉन्ग
क्या करें ऐसा कि मशीनी दौर से बाहर निकल कर अपने समाज, संस्कृति और परिवार से जुड़े रहें। क्योंकि आज के दौर में सिर्फ फिजिक्स, केमिस्ट्री पढ़कर बच्चे किताबी कीड़े तो हो जा रहे हैं, लेकिन परिवार, समाज से कट जा रहे हैं जो न सिर्फ पैरेट्स के लिए सिरदर्दी है, बल्कि समाज की रचनात्मकता के लिए भी वो सही नहीं है।अगर बच्चों में एकरसता को दूर करना है, उनकी पढ़ाई को लेकर इंट्रेस्ट पैदा करना है तो आप बच्चों को इलेस्ट्रेशन बुक्स पढ़ने के लिए दे सकते हैं। ऐसी बुक्स में तस्वीरें बहुत ज्यादा होती हैं, जिससे बच्चे खुद को कनेक्ट कर पाते हैं। तस्वीरों के कारण इन किताबें को पढ़ने में बच्चों की दिलचस्पी बढ़ती है।
तस्वीरों के साथ बड़ी लिखावट
देखा जाए तो किसी भी बच्चे का किताबी कीड़ा होना उसकी तरक्की, यहां तक कि उसके सामान्य व्यवहार के लिए भी बाधायें उत्पन्न करता है। ये तब होता है जब किताबें पढ़ी जाएं लेकिन पढ़ी हुई चीज पर अमल न करें और सिर्फ पढ़ते ही रहें। फिर हर समय किताबी कीड़ा बनने से स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है और ज्यादातर ऐसे लोग समाज से भी कटकर ही रहते हैं। हां पढ़ी हुई चीज को अगर अमल में लाई जाए, कोर्स से हटकर अन्य किताबों से अंतराल बनाई जाए तो ऐसी शिक्षा कभी व्यर्थ नहीं जाती। इन्हीं कमियों को अनुभव करके अश्वत्था ट्री की डायरेक्टर और राइटर तुलिका सिंह ने बच्चों के लिए कई किताबें लिखी हैं, जो सच्चाई, ईमानदारी, दूसरों के लिए जीने की सीख जैसी नैतिक शिक्षाओं के माध्यम से बच्चों को बेहतरीन सीख देती है। उन्होंने कहानियों में जिन शब्दों का यूज किया है, वो बच्चों में शब्दों की डिक्शनरी को बहुत स्ट्रॉन्ग करती है, जिससे कम्युनिकेशन बेहतर होता है। अश्वत्था ट्री की सबसे खास बात है कि इस पब्लिकेशन की बुक्स में तस्वीरों के साथ बड़ा-बड़ा लिखा होता है, जिससे बच्चे जल्द अट्रैक्ट होते हैं।
Ashwatha Tree की Illustration युक्त कहानियों से बच्चों को समझने में होती है आसानी…
हॉल नं-3, स्टॉल नं : F-09 पर
'Ashwatha Tree Books’' आपके बच्चों के लिए खास पुस्तके उपलब्ध हैं।#BookFair #Books #WorldBookFair2024@PMOIndia @narendramodi @dpradhanbjp @EduMinOfIndia pic.twitter.com/xud8EOJCWR
— Ashwatha Tree Books (@Ashwathatree) February 17, 2024
टीन एजर्स में रीडिंग हैबिट डेवलप करता है अश्वत्था
हाल ही में आयोजित दिल्ली के प्रगति मैदान में विश्व पुस्तक मेले में बच्चों की बुक्स को लेकर कई स्टॉल्स दिखे। लेकिन आज बच्चों को जो चाहिए, वैसी बुक्स का सर्वथा अभाव है। लेकिन उसी पुस्तक मेला में एक पब्लिकेशन ऐसा भी था, जिसपर विजिटर्स काफी संख्या में आते रहे और वो पब्लिकेशन था अश्वत्था ट्री, जिसके स्टॉल पर विजिटर्स ने बड़ी संख्या में विजिट किया। स्टॉल पर बुक्स को देखकर पैरेंट्स की प्रतिक्रियाएं शानदार रहीं। विजिटर्स का कहना था कि बच्चों को बुक्स में जिस तरह के पिक्स चाहिए, जिस तरह के इलस्ट्रेशंस चाहिए, उसे अश्वत्था ट्री फुलफील कर रहा है। और सबसे बड़ी बात कि अश्वत्था ट्री की बुक्स के पेजेज पर ये सब काफी अट्रैक्टिव मैनर में उतर के बच्चों के सामने आते हैं, जिसे बच्चे काफी पसंद कर रहे हैं। विजिटर्स का कहना था कि अश्वत्था ट्री की स्टोरीज के पिक्चर बच्चों में पढ़ने की हैबिट्स को डेवलप कर रहे हैं क्योंकि बच्चा जब अपने पढ़ाई के शुरुआती दौर में होता है तो यह जरूरी हो जाता है कि पिक्चर या इलस्ट्रेशन अट्रैक्ट करे उन्हें, जो कि अश्वत्था ट्री से संभव हो पा रहा है।
क्रिएटिव साइड आता है बाहर
अश्वत्था ट्री के पास बुक्स के इतने ऑप्शन हैं कि बच्चे चाहें तो अपनी पसंद की किताबें चुन सकते हैं। इससे पैरेंट्स को भी उनके बच्चों के इंट्रेस्ट के बारे में पता चलेगा। इसके साथ ही जब बच्चे अपनी पसंद की किताब खुद चुनेंगे तो वे उन्हें दिलचस्पी के साथ पढ़ेंगे। इससे उनकी किताबें पढ़ने की आदत बनेगी। दूसरी बात कि अश्वत्था ट्री ने जिन सब्जेक्ट्स पर स्टोरीज की है, उसे देखकर आपको भी अपनी सभ्यता, संस्कृति के बारे में जानने की इच्छा होगी।
दूसरी बात कि अगर आप अपने बच्चों के साथ बैठ रहे हैं तो आपको ये भी पता चलेगा कि आपके बच्चे कौन सी किताब पढ़ रहे हैं। पूछने पर आपको ये भी पता चलेगा कि उन्होंने इससे क्या सीखा। इससे आपको अपने बच्चे की इमेजिनेशन का पता चलेगा। दूसरी बात कि ये सब करने के बाद जल्द ही आपको अश्वत्था ट्री की बुक्स की स्टोरीज और उसकी राइटिंग स्कील्स से पता चलेगा कि आपके बच्चे का क्रिएटिव साइड किस तरह से बाहर आ रहा है।
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