बाजार में बच्चों के पढ़ने के लिए बहुत सी किताबें हैं और यही सबसे बड़ी चुनौती है कि आखिर कौन सी किताबें पढ़ांएं हम अपने बच्चों को और कौन सी नहींं। लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि किस तरह की और कौन सी बुक्स का आप अपने बच्चों के लिए सेलेक्शन करें, जिससे वे उन बुक्स से कनेक्टेड रहें और उन बुक्स की स्टोरीज से कुछ न कुछ सीखें और उसे व्यवहार में लाएं। बच्चों की उम्र अगर 5 साल से 12-13 साल के बीच है तो ऐसे बच्चों को शिक्षाप्रद बुक्स को पढ़ाना चाहिए। 5 साल के उम्र वाले बच्चों को चित्रकथा बुक्स या इलेस्ट्रेशन वाली बुक्स को पढ़ानी चाहिए।इस उम्र में बच्चे शब्दों को ठीक से पढ़ नहीं पाते हैं पर चित्रों को देखकर उसमें हो रही गतिविधियों के बारे में बता सकते हैं| यह किताब बच्चों को चित्र देखकर बात करने का मौका देती है| वे चित्र के बारे में अपने अनुभव और अवलोकन दोनों ही बता पाते हैं। पढ़ना शुरू करने की शुरुआत में इस तरह की चित्रकथाएं पढ़ने के लिए रूचि पैदा करती हैं और बच्चों की अवलोकन क्षमता का विकास भी होता है।
आपके बच्चे में डिस्ट्रक्टिव थॉट डेवलप हो रही है
तस्वीरों और इलेस्ट्रेशन से भरपूर बाजार में ऐसी पुस्तकें तो हैं लेकिन अधिकांश बुक्स कहीं न कहीं हवा-हवाई कल्पना की तरफ बच्चों को मोड़ती दिखती हैं, जो आपके बच्चे के लिए सही नहीं है, क्योंकि अगर जमीनी सच्चाई से बच्चे दूर हुए तो न सिर्फ वे अपने जड़ों से कट जाएंगे, बल्कि घर-परिवार की बातों को भी अनसुना करने की उनके अंदर आदत बढ़ती जाएगी और ऐसा अधिकांश घरों में हो भी रहा है, जिससे पैरेंट्स परेशान हैं। इसे एक उदारहण से हम समझ सकते हैं। मान लीजिए 5 साल का बच्चा एक ऐसी बुक्स पढ़ रहा है जिसमें एक बच्चे द्वारा हवाई जहाज को उड़ाते हुए दिखाया जा रहा है और उस बच्चे ने अपने दोस्त से बदला लेने के लिए उस हवाई जहाज को उसके घर में एंटर करा देता है और जोर-जोर से हंसने लगता है। शुरू में तो आपके बच्चे को यह चीज अच्छा लगेगा कि चलो बदला ले लिया लेकिन आप गौर फरमाएं कि इस बुक्स ने अपनी स्टोरीज के माध्यम से आपके बच्चों को क्या फीड करा दिया। बदले की भावना, जी हां आपके बच्चे में एक डिस्ट्रक्टिव थॉट डेवलप हो रही है। और मार्केट में पलभर की खुशी के लिए ऐसी पुस्तकें क्रिएट की जा रही हैं, लिखी जा रही हैं, जिसमें न तो रिसर्च होता है, न लेशंस वाले इलस्ट्रेशन को क्रिएट किया जाता है और न ही कैरेक्टर आयडियल होते हैं। फलत: आपका बच्चा अंदर ही अंदर कुछ ऐसे गुणों को डेवलप कर लेता है, जिससे आप दिनरात परेशान रहते हैं, उसके अंदर पनपने वाले इस तरह के अवगुणों के बारे में न तो समझ पाते हैं और न ही पता लगा पाते हैं और उसके भविष्य को लेकर चिंतित हो जाते हैं। कई बार तो बच्चों की काउंसिलिंग की भी जरूरत पड़ जाती है।
बदल जाए आपके होनहारों की जिंदगी अगर…
अब इसके विपरीत अगर कोई ऐसा पब्लिकेशन हो, जो अपने रिसर्च, इलस्ट्रेशन और तस्वीरों द्वारा बच्चों में गुड मैनर्स को डेवलप करे तो नो डाउब्ट ऐसे बच्चे घर में प्रिय होते हैं, बल्कि मेहमानों के बीच भी डिस्ट्रक्टिव बच्चों के लिए एग्जामपल बनते हैं। अश्वत्था ट्री ऐसी ही बुक्स पर दिनरात काम कर रहा है और उसके किताबों की तारीफ अभी हाल ही में आयोजित दिल्ली के प्रगति मैदान में विश्व पुस्तक मेले में भी हुई,जहां कई विजिटर्स ने इस पब्लिकेशन के इलस्ट्रेशन, कैरेक्टर, छोटी-छोटी स्टोरीज की जमकर तारीफ की। अश्वत्था ट्री की डायरेक्टर और राइटर तुलिका सिंह ने इन किताबों को काफी सालों के रिसर्च के बाद खुद ही लिखा है। वे कहती हैं कि किताबें समाज की दर्पण हैं, जिसमें हम अपना आज और कल देख सकते हैं। मेले में आए एक विजिटर ने कहा कि आज बच्चों को एकेडमिक के साथ-साथ वैल्यूज पर भी फोकस करना चाहिए, जो अश्वत्था ट्री की बुक्स में देखने-समझने को मिलता है। उन्होंने कहा कि देश के इतिहास,अनसंग हीरोज, आजादी के नायकों, ऑटोबायोग्राफी, ये सबकुछ अश्वत्था ट्री की बुक्स में पढ़ने को मिलती है, जिससे बच्चे अपने देश के इतिहास, संस्कृति के बारे में जानते समझते हैं।
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10-14 साल के बच्चों को समझना जरूरी
बात करें 10-14 साल के बच्चे को लेकर तो इस उम्र में बच्चे असली लेकिन अनोखी चीज़ों के प्रति आकर्षित होते है| अश्वत्था ट्री की कहानियां ऐसी हैं जिससे बच्चे समाज, अपने पुरखों के महत्व को लेकर समझ भी बनाते हैं। इस उम्र के बच्चे के लिए अश्वत्था ट्री की कहानियां बड़ी शिक्षा लेकर आती हैं, क्योंकि इस उम्र में बच्चे दरअसल बहुत सारे सवालों से घिरे होते हैं जिनका जवाब अकेला ढूंढ पाना मुश्किल होता है। इसकी कहानियां सवालों की मदद से कुछ नया करने और सीखने का तरीका दिखाती है। देखा जाए तो इस उम्र में बच्चों को नई चीजों के साथ खेलने और उससे कुछ अलग बनाने में, नए-नए आविष्कार करने मे बहुत मजा आता है। इस तरह की कहानियां बच्चों को नए तरीके से सोचने और चीजों को अलग-अलग तरह से बनाने और इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करती है। अश्वत्था ट्री की द ग्रेट गामा, रुद्राक्ष, द सेंट ऑफ पिंगलवाड़ा सहित कई अन्य बुक्स आपके बच्चों में ला सकती हैं बड़े बदलाव, तो फिर देर किस बात की, जेनरेशन का सवाल है तो आज ही लाएं अश्वत्था ट्री बुक्स अपने घर, तय मानिये संस्कारों से चहक उठेगा बचपन।
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