मानसिक स्वास्थ्य जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं तो किताबों से निखारें संपूर्ण व्यक्तित्व

क्या आप भी हर किसी को खुश करने की कोशिश करते रहते हैं? अगर हां तो आज से ही अपनी इस आदत को बदल लें, क्योंकि हर किसी को खुश करना लगभग नामुमकिन है. दरअसल, पीपल प्लीजिंग (People Pleasing) आपकी मेंटल हेल्थ पर बुरा असर डाल सकती है. इस चक्कर में आप खुद को ही परेशान करते रहते हैं. इसकी वजह से तनाव, गुस्सा और मानसिक समस्याएं हो सकती हैं. जिसका असर आपकी सेहत पर ही पड़ता है. इसलिए इन हैबिटों को सुधारने की जरूरत है. जानिए कैसे…

1. ना कहना सीखें

दूसरों को बुरा न लग जाए, इस चक्कर में अगर आप किसी काम के लिए ना नहीं कह पा रहे हैं तो आपको सीखना होगा. इसकी मदद से आप पीपल प्लीजिंग से बाहर निकल सकते हैं. शुरुआत में इसमें थोड़ी मुश्किलें आ सकती हैं लेकिन आगे चलकर यही आपकी मजबूती बन जाएगी.

2. पहले अपनी प्रॉयरिटी समझें

हमेशा दूसरों से पहले खुद के बारे में सोचना चाहिए. यही आदत न होने की वजह से आप कब पीपल प्लीजर बन जाते हैं, पता ही नहीं चलता है. इसलिए सबसे पहले अपनी जरूरतों, ऑब्जेक्टिव्स और वेलबिंग को प्रॉयरिटी दें. इसका मतलब ये बिल्कुल भी नहीं कि आप स्वार्थी ही बन रहे हैं. इससे आप खुद को मेंटली और फिजिकली स्ट्रॉन्ग बना रहे हैं.

3. हर किसी को खुश करना पॉसिबल नहीं

इस बात को अच्छी तरह समझ लें कि आप हर किसी को खुश तो नहीं रख सकते हैं. आपकी और सामने वाले की जरूरतें अलग-अलग हो सकती हैं. ऐसे में अगर अपने इमोशन को दरकिनार कर दूसरे को प्रॉयरिटी पर रखते हैं तो हो सकता है वह खुश हो जाए लेकिन आपक दुखी हो सकते हैं. इसका सेंस भी नहीं बनता है. इसलिए अपनी खुशी से समझौता न करें और खुद का ख्याल भी रखें.

4. किताबों को बनाए अपना सबसे अच्छा दोस्त

आज जरूरत है तेजी से दौड़ती जिंदगी में मेंटल हेल्थ को बेहतर बनाए रखने की। बेहतर जीवन के लिए दिमाग को मजबूत बनाना, याददाश्त को तेज करना, सोचने-समझने की शक्ति को बढ़ाना और दिमागी समस्याओं से बचना बहुत जरूरी है, और ये आदतें बच्चो में बचपन से ही डाली जाती है. हर माँ बाप चाहते है की उनके बच्चो को बड़े होकर इन सभी चीजों से लड़ना आना चाहिए नाकि डरना चाहिए और ये सब संभव है किताबों के जरिए. बच्चों में इन गुणों को डेवलप करने के लिए वैसे तो कई बुक पब्लिकेशन काम कर रहे हैं, लेकिन अश्वत्था ट्री के बुक्स इस मामले में जरा हटकर हैं। सबसे खास बात ये है कि अश्वत्था ट्री पब्लिकेशन किसी दूसरे से इन पुस्तकों को नहीं लिखवाता, बल्कि खुद अश्वत्था ट्री की डायरेक्टर तुलिका सिंह ही इन बुक्स को लिखती हैं। तुलिका सिंह ने वर्षों रिसर्च के बाद इन बुक्स को लिखा है। बुक्स राइटिंग का तरीका ऐसा है कि स्टोरीज के कैरेक्टर बच्चों से संवाद करते हैं।

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