बच्चे की उम्र चाहे जो हो लेकिन दिन-रात पैरेंट्स को उसकी फिक्र होती है। क्या खाया, क्या पढ़ रहा है, बच्चे की तबियत कैसी है, ये सब हर मां-बाप के लिए चैलेंज की तरह है। पैरेंट्स की ख्वाहिश होती है कि उनका बच्चा पढ़ाई में बेहतर हो और जिदंगी में उनसे भी आगे जाए। कई बार आगे जाने की होड़ में मां -बाप अपने बच्चे के ऊपर दबाव बनाने लगते हैं। वो दबाव पढ़ाई का होता है, या फिर किसी अन्य सेक्टर में बेस्ट परफॉर्म करने का होता है। इसका परिणाम यह होता है कि बच्चों का पढ़ाई से मन हटाने लगता है और बच्चों के स्वभाव में भी चिड़चिड़ापन दिखने लगता है। अगर आपको भी लगता है कि आपके भी बच्चे का मन पढ़ाई से भटक रहा है या वो चिड़चिड़े हो रहे हैं तो पहले तो ये समझना जरूरी है कि आखिर आपके बच्चे में ऐसा क्यों हो रहा है।
बच्चे रास्ता खुद बनाएं
अगर आपके बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लग रहा है तो उसके कई कारण हो सकते हैं। आजकल बच्चे मोबाइल फोन, अन्य गैजेट्स के टच में ज्यादा रह रहे हैं। स्कूल से होमवर्क मिले या कुछ निबंध वगैरह लिखना हो, बच्चे इंटरनेट और मोबाइल के जरिये उसे तुरंत नकल कर के लिख लेते हैं। एआई और चैट जीपीटी ने तो यह चिंता और बढ़ा दी है। और इसका परिणाम होता है कि बच्चा पढ़ने-लिखने या मेहनत करने से धीरे-धीरे दूर हो जाता है। समय के साथ उसकी मौलिकता खत्म होने लगती है। अगर आप अपने बच्चे को लेकर बड़ा बदलाव करना चाहते हैं तो सबसे पहले ये जरूरी है कि उसपर किसी तरह का दबाव बनाने की जगह खुद पर दबाव बनाएं कि उसे ज्यादा किसी भी चीज के लिए फोर्स नहीं करना है। उसे रास्ता दिखाना है, सही सलाह देनी है ताकि वह अपना रास्ता खुद बनाना सीखे, उसके अंदर जिम्मेदारी का एहसास पैदा हो और वो सही-गलत का फैसला खुद कर सके।
ऐसे अश्वत्था ने इन बुक्स को किया साकार
बच्चों में स्वाभाविकता पैदा करने के लिए जरूरी है कि उसे ऐसे बुक्स पढ़ने की सलाह दें, जो मोरल स्पोर्ट पर आधारित हों, जो ये सिखाएं कि जरूरतमंदों की सेवा करो, जो यह बताए कि परोपकार ही परम धर्म है। अब सवाल उठता है कि ऐसे बुक्स बाजार में कहां से खरीदें जो आपकी सभ्यता, संस्कृति से जुड़े हों, जो ये बताएं कि आपके लिए क्या सही है, क्या गलत, जिन बुक्स से आप यह सीख सकें कि माता-पिता, दादा-दादी आपके जीवन में कितना महत्व रखते हैं, जिनसे रामायण, महाभारत, वेद, उपनिषद की जानकारी हो। बाजार में आज पब्लिकेशंस की भरमार है, लेकिन चिंता की बात है कि वे पब्लिकेशंस पैसा बनाने में ज्यादा फोकस रखते हैं लेकिन कुछ पब्लिकेशन ऐसे भी हैं, जिनका मूल उद्देश्य पैसा कमाना नहीं, समाज बनाना है, व्यक्तित्व निर्माण करना है और उन्हीं पब्लिकेशन में से एक है अश्वत्था ट्री। अश्वत्था ट्री की डायरेक्टर और राइटर हैं तुलिका सिंह, जिन्होंने लंदन, टोक्यो, सिंगापुर में अपना काफी समय बताया, जिंदगी के कई आयाम देखे, कई अनुभवों से गुजरीं और इसके बाद अपने पब्लिकेशंस के लिए बैठकर काफी रिसर्च किया, और तब जाकर उनका बच्चों के जिंदगी, उनके व्यक्तित्व के शानदार निर्माण के लिए किताबें लिखनी शुरू कीं। तुलिका सिंह कहती हैं कि ये पुस्तकें उनके सपनों के साकार होने जैसा है, क्योंकि जिस तरह से हाल के वर्षों में बचपन कुम्हला रहा है, उसे लेकर वो काफी चिंतित थीं। और इसीलिए उन्होंने अश्वत्था ट्री के बैनर तले उन बुक्स को लिखा, जिसके कैरेक्टर बच्चों से बातें करते हैं। बच्चे भी उन कैरेक्टर में अपनापन देखते हैं। कैरेक्टर चाहे हनुमान हों या राम या फिर लल्लेश्वरी, हर किताब से एक शानदार सीख मिलती है परोपकार की, त्याग की, जीवन के कई सोपानों को देखने-समझने की और धैर्य के साथ किसी भी परिस्थिति का मुकाबला करने की।
बुक्स बड़े अक्षरों में हो तो पढ़ने का मजा दोगुना
सही मायने में देखा जाए तो इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में किताबें आपको टेंशन-फ्री कर सकती हैं। अश्वत्था ट्री की डायरेक्टर और राइटर तुलिका सिंह ने अपनी पुस्तकों के माध्यम से बच्चों के लिए एक अलग दुनिया बनाई है। उन पुस्तकों को जब आप पढ़ते हैं तो उसके कैरेक्टर से कनेक्ट होते हैं, उसमें खो जाते हैं। ये आनंद अलहदा है, जो पिछले कुछ सालों से बाजार में मिलने वाली कॉमिक्स कैरेक्टर से गायब थीं। आजकल बाजार में मिलनेवाली फैंटेसी पर आधारित पुस्तकें मन को अस्थिर करती हैं, चंचल बनाती हैं लेकिन अश्वत्था ट्री की पुस्तकें पढ़ने के बाद मन को सुकून देती हैं। ये किताबें बेहतरीन तस्वीरों के साथ अमेजन जैसे ऑनलाइन मार्केट में उपलब्ध हैं। इन किताबों की खासियत है कि बच्चे अगर स्टोरीज को स्टार्ट करें तो खत्म कर के ही उठें। क्योंकि ये किताबें पन्ने दर पन्ने एक के बाद एक तस्वीरों से जुड़ी हैं, बड़े-बड़े अक्षरों में लिखी गई हैं, जिससे पढ़ने में आसानी होती है।
नहीं पढ़ी होगी ऐसी हनुमान चालीसा
हाल ही में आयोजित दिल्ली के प्रगति मैदान में विश्व पुस्तक मेले में एक विजिटर्स की चिंता जायज थी। अश्वत्था ट्री की बुक्स हनुमान चालीसा को हाथ में लेकर उन्होंने जो कहा, उसपर सरकार और अधिकारियों का ध्यान जाना चाहिए। वे इस किताब को लेकर इतने ज्यादा रोमांचित थे कि उन्होंने कहा कि इस हनुमान चालीसा को क्लास रूम तक पहुंचाना होगा, अन्यथा ये रैक में रह जाएगी या फिर इस तरह से मेले के स्टॉल पर सुसज्जित होकर बच्चों तक पहुंचने का रास्ता देखती रह जाएंगी। इस हनुमान चालीसा की खासियत ये है कि अश्वत्था ट्री के अलावा शायद ही मार्केट में इतने बड़े साइज में हनुमान चालीसा उपलब्ध हो। चूंकि भगवान हनुमान का विशालकाय शरीर एक छोटी किताब में अच्छी तरह से समायोजित नहीं हो सकता, इस बारिकी को समझते हुए अश्वत्था ट्री ने बड़े हनुमान की तरह बड़ी किताब की रचना की और उसमें हनुमान की शानदार और कलरफुल तस्वीरों के साथ हनुमान चालीसा को प्रस्तुत किया। जिससे बच्चों को हनुमान चालीसा खेल-खेल में ही याद हो जाता है और वे अध्यात्म से भी जुड़ जाते हैं।
ये किताब हमारे दिल की ज़ुबाँ है,जिसे आपने सदियों से जिया है,महसूस किया है…तो क्यों न हो ये किताब हर स्कूल के लिए कंपल्सरी, जिससे पढ़े भी भारत,बढ़े भी भारत…
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— Ashwatha Tree Books (@Ashwathatree) February 14, 2024
अश्वत्था ट्री ने हनुमान चालीसा ही नहीं, बल्कि जिन किताबों को भी लिखा है, एक हटकर कॉन्सेप्ट दिया है, जो उसके कलेवर से ही स्पष्ट हो जाता है। कवर पेज को देखकर ही अगर कोई खींचा चला आता है तो समझने वाली बात है कि किताब के भीतरी पन्नों पर लेखिका की अभिव्यक्ति किस तरह से होगी। अस्वत्था ट्री ने हनुमान चालीसा के अलावा वेद, उपनिषद पर भी छोटी-छोटी स्टोरीज के माध्यम से बच्चों तक सीख पहुंचाई है।
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