आज हम आपको एक ऐसी बुक्स के बारे में बताएंगे, जिसका प्रकाशन अश्वत्था ट्री के बैनर तले हुआ है, लेकिन जिसे लिखा है एक ऐसे लिटिल चैम्प्स ने, जिसकी उम्र महज 12 बाल है। इस बुक के राइटर हैं संकल्प, जिन्होंने इस किताब में विलुप्त होती गौरैया पर फोकस किया है। संकल्प ने वर्षों गौरैया की जिंदगी को देखा, समझा और रिसर्च किया, तब जाकर उनका बुक्स लिखने का सपना साकार हुआ।
पक्षियों की छोटी जान को बचाने के लिए ये बुक्स प्रेरणा
गौरैया के संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से विश्व गौरैया दिवस हर साल 20 मार्च को मनाया जाता है। अगर हम संकल्प के गौरैया बचाओ अभियान को दिल से समझें तो यह बुक्स बहुत कुछ मैसेज दे जाती है कि किस तरह से आम पक्षियों की सुंदरता, पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता दुनिया के लिए जरूरी है, जिसके बिना एक खुशनुमा संसार की कल्पना तक नहीं की जा सकती। जरूरत है पक्षी संरक्षणवादियों के नेटवर्क और संरक्षण में सुधार करने की, जिससे पक्षियों के संरक्षण के लिए विचारों के आदान-प्रदान द्वारा एक मंच तैयार किया जा सके। इसका फायदा ये होगा कि दुनियाभर के लोगों को एक साथ आने और आम जैव विविधता या कम संरक्षण वाली प्रजातियों की सुरक्षा के लिए आवश्यकता के बारे में जागरूकता पैदा की जा सकेगी।
राइटर के लिए परिवार की तरह है गौरैया
देखा जाए तो गौरैया या घर की गौरैया को शहरी क्षेत्रों में हरे-भरे हिस्सों और पिछवाड़े में चहकने के लिए जाना जाता है। हालांकि, भयंकर गर्मियों के दौरान, उन्हें ठंडी छाया और पानी की आवश्यकता होती है। वे हमेशा आवासीय क्षेत्रों में काफी आम रहे हैं, लेकिन वर्तमान में ध्वनि प्रदूषण, आधुनिक इमारतों में घोंसले के शिकार स्थलों की कमी, कीटनाशकों के उपयोग और भोजन की अनुपलब्धता के कारण गौरैया विलुप्त होने के कगार पर हैं। राइटर संकल्प ने गौरैया को एक परिवार की तरह समझा है, ये छोटी सी पक्षी लेखक के दिल के काफी करीब है।
अश्वत्था ट्री का ये मैसेज बहुत खास
संकल्प का यह प्रयास बताने के लिए काफी है कि अश्वत्था ट्री अपनी बुक्स के माध्यम से बच्चों को क्या मैसेज देना चाहता है। अश्वत्था ट्री की डायरेक्टर और राइटर तुलिका सिंह ने पहले भी कहा है कि लोग अपने जड़ों से जुड़े रहें, अपनी सभ्यता-संस्कृति को लेकर प्राउड फील करें, देश को जानें, यहां की वीर गाथाओं को पढ़ें, देश को गुलामी की जंजीरों से आजादी दिलानेवाले नायकों को पढ़ें तो पर्सनैलिटी में तो निखार आएगी ही, आत्मविश्वास से बचपन लबरेज रहेगा, जिसका असर परीक्षा में रिजल्ट से लेकर, स्टेज परफॉर्मेंस और प्रतियोगी परीक्षाओं तक में देखने को मिलेगा।
चिप-चिप, चिपर कॉलिंग इसलिए बनी प्रेरणा
संकल्प की पुस्तक बच्चों को काफी भा रही है। विश्व पुस्तक मेले में भी संकल्प के साथ कई विजिटर्स ने फोटो खिंचवाए, खेलने-कूदने की इस उम्र में उनके प्रयास को लेकर काफी सराहना मिली। संकल्प ने इस पुस्तक को लिखने का मूल मकसद बताया कि उनके दिल में हमेशा ये कसक रहती थी कि जो गौरैया हमारे घरों के मूंडेर पर हमेशा चहकती रहती थी, आज वो क्यों नहीं दिखती। जैसे-जैसे संकल्प की उम्र बढ़ती गई, समझ बनती गई कि कहीं ये विलुप्ति के कगार की तरफ तो नहीं जा रही हैं। फिर उन्हें एहसास हुआ कि चहकती पक्षियों को बचाना जरूरी है और इसके लिए लोगों और देशों में जागरूकता बढ़ाई जानी जरूरी है, तभी इसे बचाया जा सकेगा और उनकी इस सोच ने उन्हें चिप-चिप, चिपर कॉलिंग जैसी बुक्स लिखने के लिए प्रोत्साहित किया।
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मेले में आए विजिटर्स ने अश्वत्था ट्री की पुस्तकों को काफी पसंद किया। यही कारण था कि चिल्ड्रेन बुक्स हॉल में अश्वत्था ट्री के स्टॉल पर काफी विजिटर्स ने विजिट किए। विजिटर्स ने अश्वत्था ट्री की पुस्तकों में आकर्षक तस्वीरों, इलस्ट्रेशन और कैरेक्टर्स के डायलॉग्स द्वारा दिये गए गंभीर मैसेज की काफी तारीफ की। उनका कहना है कि इन बुक्स से हमारे महापुरुषों के योगदान, उनसे क्या सीख मिली, इन सब के बारे में जानने का मौका मिलता है। साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर ये बुक्स लाइब्रेरी में रखी जाए तो काफी लोगों तक इनकी पहुंच बन सकती है।
Our mythological books provide Sanatan education and life lessons from Maha Purush. A must-have for your library, these books groom and inspire children.
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— Ashwatha Tree Books (@Ashwathatree) February 15, 2024
वैसे तो किस्से-कहानियों की किताबें पढ़ने का कोई वक्त नहीं होता, लेकिन इन्हें सोने से पहले पढ़ा जाए तो आप एक स्वप्निल संसार में विचरण कर सकते हैं। अश्वत्था ट्री की डायरेक्टर और राइटर तुलिका सिंह द्वारा बच्चों के लिए लिखित पुस्तकों के कैरेक्टर बाजारों में मिलनेवाले पुस्तकों के कैरेक्टर से डिफरेंट हैं, जो न सिर्फ हमें कल्पना के अतीत में ले जाती हैं, बल्कि आपके बच्चों के मोरल को भी बूस्ट करती हैं।
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