Highway पर ही क्यों सोना पड़ा? | Char Dham Yatra | Kedarnath | Gangotri-Yamunotri

अगर आप अभी उत्तराखंड में चार धाम यात्रा करने का प्लान बना रहे हैं तो फिलहाल इसे टाल दीजिये। क्योंकि गंगोत्री-यमुनोत्री धामों पर रिकॉर्ड तोड़ भीड़ के चलते सरकारी व्यवस्थाएं ध्वस्त हो चुकी हैं। लोगो की लंबी-लंबी लाइन्स और गाड़ियों का छोटा-मोटा जाम नहीं, कम से कम 30-40 किलोमीटर लंबा जाम देखने को मिल जाता है.अगर आप planes की गर्मियों से बचने के लिए पहाड़ और पहाड़ों में भी अगर गंगोत्री – यमनोत्री – केदारनाथ – बद्रीनाथ यानी चार धाम यात्रा का सोच रहे है तो जरा अच्छे से सोचिये क्योकि जैसे ही आप हरिद्वार से आगे बढ़ते हैं तो 170 किमी दूर बरकोट तक 45 किमी लंबा जाम आपको नजर आ जायेगा.

बरकोट से आगे यमनोत्री और गंगोत्री के रस्ते है। यहां से रूट वन-वे है, इसीलिए मंदिर से लौट रही गाड़ियों को पहले निकाला जा रहा है जिस वजह से मंदिर जाने वाली गाड़ियों का नंबर 20 से 25 घंटो में आ रहा है। इसी इंतजार में बीते 4 दिन में यमुनोत्री-गंगोत्री जा रहे 10 लोग रस्ते में ही दम तोड़ चुके है. इनमे से 5 लोगों की जान मंगलवार को गई. तीन ऐसे है, जिन्होंने गाड़ी में ही दम तोड़ दिया. गौर करने की बात ये है की जिन 10 श्रद्धालुओं की मौत हुई है, उन सभी की उम्र 50 वर्ष से अधिक थी. इनमे 70 पार वाले तीन, 65 पार वाले 2, जबकि 60 पार वाले 2, 50 से अधिक उम्र वाले 3 लोग है. इनमे से 4 को डायबिटीज के साथ-साथ ब्लड प्रेशर की भी शिकायत थी। हालाकिं केदारनाथ और बद्रीनाथ के रास्तों पर गंगोत्री-यमुनोत्री के मुकाबले जाम कम है पर वहा भी व्यवस्थाए बिगड़ी हुई ही है।

अब जैसे ही आप गंगोत्री के रस्ते आगे बड़ते है तो सड़क किनारे बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग आराम करते नजर आ रहे है। जिससे हम दकेह सकते है की आगे होटल्स और आम जन के रुकने की व्यवस्था कितनी खराब है। लोगो के पास न खाने और कही रुकने का ठिकाने है। आस पास के गावों से लोग पानी और हलके फुल्के खाने की मदद ले रहे है.

आइये अब कुछ डाटा के तौर पर बात कर लेते है. उत्तराखंड के डीजीपी अभिनव कुमार के मुताबिक पिछले साल 28 मई तक यमुनोत्री में 12045 तो गंगोत्री में 13670 यात्री ही पहुंचे थे, लेकिन मंगलवार को दिनभर में 27 हजार लोग यमुनोत्री पहुंचे। सड़कों पर बहुत दबाव है. इस बार अब तक करीब 26 लाख रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। अभी कपाट खुले सिर्फ 4 दिन ही हुए हैं, जबकि यात्रा नवंबर तक चलेगी। 2023 में मई से नवंबर तक का रिकॉर्ड 55 लाख श्रद्धालुओं का है। कई लोग बिना रजिस्ट्रेशन पहुंचे हैं। सरकारी इंतजाम 2023 के यात्रियों की संख्या के आधार पर हुए थे। अब इतनी भीड़ देख कर सरकारी विभाग भी परेशान है. आपको बता दे पिछले साल यमुनोत्री, गंगोत्री के कपाट 22 अप्रैल तो केदारनाथ के 25 अप्रैल और बद्रीनाथ के 27 अप्रैल को खुले थे। तब यात्रा के शुरुआती पांच दिनों में 52 हजार लोग ही पहुंचे थे। इस बार चार दिन में 1.30 लाख से ज्यादा लोग पहुंच चुके हैं। 2023 में इतने लोग 16 दिन में पहुंच पाए थे। इस डाटा से आप समझ सकते है की कितनी भीड़ सिर्फ चार धाम यात्रा के लिए जा रही है जहा पर व्यवस्था उस तौर पर है ही नहीं. ये सरकार और सभी के लिए एक चैलेंज है। 2023 के मुकाबले में 2024 में डबल से भी ज्यादा लोग यात्रा करने पहुच चुके है.

अब सवाल ये उठता है की ये कौन लोग है. क्या ये सभी भक्ति-भाव से आते है या फिर सिर्फ घूमने के पर्पस से, आजकल वैसे भी Vlogging का चलन है. अगर आपने केदारनाथ धाम में मूर्ति स्थापना वाली वीडियो देखी हो तो आपने देखा होगा की आधे से ज्यादा लोग बड़े-बड़े कैमरा लेकर, youtube के लिए, परिवार वालो के लिए, चैनल के लिए। वीडियो बनाते दिख रहे थे। दर्शन का भाव हांलाकि मन में होता जरुर है पर इस बढ़ते vlogging कल्चर में वो भाव कही न कही खो जाता है. बीच में ये भी एक ट्रेंड चला था जहां लोग केदारनाथ धाम पहुंच कर सिर्फ और सिर्फ रील पर वायरल होने के लिए जाते थे, जिसके चलन को रोकने के लिए सरकार ने कड़े कदम भी उठाये थे. इससे लोगो को समझना चाहिए की धार्मिक जगहों पर भाव के आधार पर जाएं ना की व्यूज के आधार पर. इससे ना सिर्फ लोगो को बल्कि वहां की प्रकृति पर भी काफी असर पड़ता है. चाहे वो किसी धार्मिक स्थल की भावनात्मक प्रकृति हो या कुदरत अब आप ये अपने आप से सवाल पूछिए या इस बात पर जरुर गौर करिए की जितने लोग वहां जाते है क्या वह ये बात सुनिश्चित करते है की उनकी तरफ से एक भी कूड़ा फैला न हो, एक भी प्लास्टिक की बोतल उन्होंने पीकर फेकी न हो? लोगों को ये भी सुनिश्चित करना चाहिए की। जितनी भारी मात्र में लोग वहां पहुंच रहे है। वो अपने आस पास गंदगी न करे और चार धाम यात्रा करते वक़्त पर्यावरण का भी ध्यान रखें. क्योंकि कई लोग हमने देखा है की किस तरह से भक्ति भाव कि जगह पिकनिक के तौर पर जाते है और वहां गंदगी करते है, जिससे ये देखा जा सकता है की आज कल लोगो में दिखावा या बखान करने की प्रवृत्ति बहुत अधिक हो गयी है और ऐसे लोगो को इस New-Tech जेनरेशन में हम आर्टिफिशियली इंटेलीजेंट कह सकते है, मेरी बातों पर गौर कीजिएगा मैं यहाँ आपको AI के बारे में नहीं बल्कि, आर्टिफिशियली इंटेलीजेंट लोगों के बारे में बता रहा हूं। जो दिखावटी तौर पर इंटेलीजेंट होते है। मान लीजिए की आप दर्शन करने जाते है पर आप वहां जाकर गंदगी करते है, शराब एवं नशीले पदार्थ का सेवन करते है। और आप अपनी इंस्टाग्राम और फेसबुक स्टोरी पर दिखावटी रूप से सिर्फ भक्ति भाव दिखाते है।आप हमे बताइए क्या ये आजके यूथ का चलन नहीं है? क्या ऐसा लोग नहीं करते? ऐसे ही लोगो को आर्टिफिशियली इंटेलीजेंट कहा जाता है जिनके पास सिर्फ रटे-रटाया मशीनी ज्ञान होता है। न्यू जेनरेशन को रियल में इंटेलीजेंट बनाना हो तो हमारे आस पास की हमे नॉलेज होनी चाहिए। हमे अपने से ज्यादा लोगो के बारे में सोचना चाहिए और सिर्फ इन्सान नहीं बल्कि प्रकृति भी क्योंकि हम प्रकृति से है प्रकृति हमसे नहीं और ये सब अच्छी आदतें बचपन से दी जाती है और बचपन में सबसे करीबी दोस्त होती किताबें. अगर माता पिता होने के नाते आप अपने बच्चों से इस तरह का संवाद नहीं बैठा पा रहे हैं तो ये बात सुनिश्चित करें कि बच्चें इन सभी बातों और प्रेरणादायी किस्सों को किसी और माध्यम से जरुर सुन या पढ़ पाएं। इसके लिए आप चाहे तो Ashwatha Tree Publication की किताबें बच्चों को दे सकते है। ये ऐसी किताबें है जो खासतौर से बच्चों को ध्यान में रख कर बनाई गयी हैं। इन किताबों में न सिर्फ पुराणों, ग्रंथों से चुनिंदा किस्सों को लिखा गया है बल्कि आज के समय में भी जो लोग समाज और देश को बेहतर बनाने के लिए काम कर रहे हैं उन लोगों की भी मोटिवेशनल स्टोरीज को शामिल किया गया है। यह किताबें न सिर्फ आपके बच्चों को संस्कृति का ज्ञान देंगी बल्कि उनके ऐसे दौर में प्रेरणा बनने का काम भी करेंगी.

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