विश्व पुस्तक मेले के बाद Ashwatha Tree की प्रैक्टिकल बेस्ड बुक्स की बच्चों में बढ़ी डिमांड

नई दिल्ली में फरवरी में आयोजित विश्व पुस्तक मेले 2024 में अश्वत्था ट्री पब्लिकेशंस की पुस्तकों की बच्चों के बीच काफी डिमांड रही। अश्वत्था ट्री पब्लिकेशन का साफ मानना है कि हमारा मकसद सिर्फ किताब बेचना नहीं है, अगर हम ऑनलाइन भी अपनी पुस्तकों को डिस्प्ले करते हैं तो इसका प्रमुख उद्देश्य है कि अधिक से अधिक संख्या में रीडर्स इन पुस्तकों को पढ़ें, अपनी संस्कृति को जानें, समझें। क्योंकि इन पुस्तकों की खासियत है कि इनके पात्र पाठकों के बीच से हैं, उनकी दादी-नानी की किस्से-कहानियों की याद दिलाते हैं तो सहज ही बच्चे उनसे जुड़ जाते हैं और उन्हें पुस्तक के पात्र नये नहीं लगते। विश्व पुस्तक मेले में भी जो विजिटर्स अश्वत्था ट्री के स्टॉल पर आए उन्हें बुक्स के ग्राफिक्स ने काफी अट्रैक्ट किया। वे कहते भी हैं कि बुक्स के ग्राफिक्स काफी शानदार हैं। सबसे बड़ी बात कि मेले की बात करें या फिर ऑनलाइन, हर जगह रिलिजियस बुक्स तो हैं लेकिन अश्वत्था ट्री को लोग ज्यादा इसलिए पसंद कर रहे हैं, क्योंकि बाजार में मिलनेवाले बुक्स से ये डिफरेंट हैं, जिसे बुक फेयर में आनेवाले विजिटर्स ने भी स्वीकार किया। विजिटर्स को एक और बात अश्वत्था ट्री में बढ़िया लगी, जो दूसरे पब्लिकेशंस में देखने को नहीं मिलतीं, कि इस पब्लिकेशन के पास शॉर्ट स्टोरी की बुक्स काफी हैं, जो बच्चों को ढेरों ऑप्शन प्रोवाइड कराती हैं।
जिन लोगों ने अश्वत्था ट्री के बुक्स को खरीदा, उनके कॉम्प्लिमेंट्स वाले कई वीडियोज भी सोशल मीडिया पर देखने को मिले। बुक्स क्यों पॉपुलर हो रहे हैं, आप खुद ही लोगों से सुनिये…

इंग्लिश स्पीकिंग होती है इम्प्रूव्ड

देखा जाए तो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का पब्लिकेशन हाउस पर काफी सकारात्मक असर पड़ रहा है और भारत दुनिया के सबसे बड़े पुस्तक बाजार के रूप में उभर रहा है। इसलिए दुनियाभर के पब्लिकेशन की नजर भारत के बाजार पर है। प्रगति मैदान के हॉल नंबर 3 में स्टॉल नंबर F-19 में अश्वत्था ट्री के बुक्स की भी देश-विदेश के लोगों में भारी डिमांड थी, क्योंकि अश्वत्था ट्री की डायरेक्टर और राइटर तुलिका सिंह ने इन किताबों को खुद ही लिखा है और वर्षों के रिसर्च के बाद इन बुक्स के सपने साकार हुए हैं। इसलिए उनकी किताबें बाजार में उपलब्ध किताबों से अलग हटके हैं। छोटे बच्चों के इंग्लिश स्पीकिंग को सीखने का अलग तरीका उनकी बुक्स की स्टोरीज से निकल कर आता है। छोटे वाक्य, शब्दों का सुंदर चयन बच्चों के व्याकरणिक विशेषता को भी सुदृढ़ करता है।

विजिटर्स को मनभावन लगी पुस्तकें

अश्वत्था ट्री पब्लिकेशन का साफ मानना है कि हमारा मकसद सिर्फ किताब बेचना नहीं है, अगर हम ऑनलाइन भी अपनी पुस्तकों को डिस्प्ले करते हैं तो इसका प्रमुख उद्देश्य है कि अधिक से अधिक संख्या में रीडर्स इन पुस्तकों को पढ़ें, अपनी संस्कृति को जानें, समझें। क्योंकि इन पुस्तकों की खासियत है कि इनके पात्र पाठकों के बीच से हैं, उनकी दादी-नानी की किस्से-कहानियों की याद दिलाते हैं तो सहज ही बच्चे उनसे जुड़ जाते हैं और उन्हें पुस्तक के पात्र नये नहीं लगते। विश्व पुस्तक मेले में भी जो विजिटर्स अश्वत्था ट्री के स्टॉल पर आए उन्हें बुक्स के ग्राफिक्स ने काफी अट्रैक्ट किया। वे कहते भी हैं कि बुक्स के ग्राफिक्स काफी शानदार हैं। सबसे बड़ी बात कि मेले की बात करें या फिर ऑनलाइन, हर जगह रिलिजियस बुक्स तो हैं लेकिन अश्वत्था ट्री को लोग ज्यादा इसलिए पसंद कर रहे हैं, क्योंकि बाजार में मिलनेवाले बुक्स से ये डिफरेंट हैं, जिसे बुक फेयर में आनेवाले विजिटर्स ने भी स्वीकार किया। विजिटर्स को एक और बात अश्वत्था ट्री में बढ़िया लगी, जो दूसरे पब्लिकेशंस में देखने को नहीं मिलतीं, कि इस पब्लिकेशन के पास शॉर्ट स्टोरी की बुक्स काफी हैं, जो बच्चों को ढेरों ऑप्शन प्रोवाइड कराती हैं।

गैजेट्स को बच्चों ने कहा ‘ना’

आजकल बच्चों में मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट से नजदीकियां बनती जा रही हैं और बुक्स से वे दूर होते जा रहे हैं।
एक समय था, जब लोग रेल से सफर करते हुए कुछ ना कुछ पढ़ा करते थे। इसके अलावा लाइब्रेरी में अच्छी-खासी भीड़ होती थी। लेकिन मोबाइल आने के बाद यह आदत धीरे-धीरे लोगों से छूट रही हैं। कभी सोचा है आपने कि न्यू जेनरेशन में ऐसा क्यों हो रहा है? क्योंकि बाजार में किस्से-कहानियों से रिलेटेड जो बुक्स उपलब्ध हैं, उनमें थ्योरी पर ज्यादा जोर दिया जाता है लेकिन अश्वत्था ट्री की किताबों में कहानियों के माध्यम से प्रैक्टिकल चीजों पर ज्यादा फोकस किया गया है, जिससे अश्वत्था ट्री की कहानियों को पढ़नेवाले बच्चों में हर रोज प्रैक्टिकल चीजों को सीखने की प्रैक्टिस बढ़ रही है, इसका शानदार रिजल्ट बच्चों में जल्दी ग्रोथ के रूप में देखने को मिल रहे हैं। अश्वत्था ट्री की डायरेक्टर और राइटर तुलिका सिंह ने जिस तरह से बच्चों के लिए रोचक किस्से-कहानियों से भरपूर किताबें लिखी हैं, वो बच्चों में न सिफ पढ़ने की आदत डेवलप करती है, बल्कि वो बच्चों को मोबाइल या अन्य गैजेट्स से भी दूर करता है। जरूरी नहीं कि हमारे बच्चे हर समय कोर्स की किताबें पढ़ें। ऐसे में अश्वत्था ट्री की पुस्तकें बच्चों के लिए बेहतर ऑप्शन हो सकती हैं।

अश्वत्था ट्री पब्लिकेशन नहीं, एक मुहिम

हमारे देश में कहानियों को लिखने का तरीका थ्योरी बेस्ड है। अश्वत्था ट्री की डायरेक्टर तुलिका सिंह इस बात को समझती हैं और इसीलिए उन्होंने अपनी लिखी किताबों में कहानियों को प्रैक्टिकल वे में आगे बढ़ाती हैं। वे कहती हैं कि अश्वत्था ट्री पब्लिकेशन नहीं, एक मुहिम है, जिसे बच्चों की सुंदर दुनिया के लिए मैंने छेड़ा है। यही कारण है कि अश्वत्था ट्री की बुक्स बच्चों में काफी लोकप्रिय है।

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