दुनिया मानसिक स्वास्थ्य जैसी बीमारियों से जूझ रही है। इसमें बच्चों में डिप्रेशन, अग्रेशन, एंजाइटी से लेकर तमाम तरह की परेशानियां है, जिसे देखकर मां-बाप काफी परेशान हो जाते हैं कि उनसे कहां चूक हो गई जो उनका बच्चा सामान्य बच्चों से हटकर विहैव कर रहा है। लेकिन परेशान होने की जरूरत नहीं है, बल्कि बच्चों में मिशन मोड में कुछ ऐसी हैबिट्स को डेवलप करने की जरूरत है, जिससे उनके अंदर पनप रहे इस तरह से व्यवहार को जल्द ही दूर किया जा सके और इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है इस बात पर फोकस करने की कि बच्चे में इस तरह के व्यवहार पनप क्यों रहे हैं।
आपको याद है दीपावली के दिन रजत ने विप्लव से क्या कहा था, जब उसकी मां अपने बच्चे को लेकर तुरंत अपने घर चली गई थीं। रजन ने कहा था कि अगर तुम अपनी फूलझड़ी नहीं दोगे तो तुम्हारी सारी फूलझड़ी आग में फेंक दूंगा। आपके बच्चे में इतना अग्रेशन आया कैसे। क्योंकि आपने उसकी हर मांगों को पूरा किया। आपके पास सबकुछ है उसे देने के लिए लेकिन क्या आपको पता है कि उसे संभालने के लिए बाल मन में आपने वो संस्कार डेवलप नहीं किये जिससे वो किसी चीज की कीमत समझ सके। अपने बच्चे को अच्छी सीख देने के लिए आपने कभी भी उसके सामने आर्टिफिशियल क्राइसिस नहीं क्रिएट की। इसका नतीजा क्या निकला कि बच्चे के अंदर उस तरह से अवगुण डेवलप होते गए, जिससे वो अपनी छोड़िये, दूसरे बच्चों के सामान पर भी हक जताने लगा।
मेंटल हेल्थ बना चैलेंज
आज जरूरत है तेजी से दौड़ती जिंदगी में मेंटल हेल्थ को बेहतर बनाए रखने की। बेहतर जीवन के लिए दिमाग को मजबूत बनाना, याददाश्त को तेज करना, सोचने-समझने की शक्ति को बढ़ाना और दिमागी समस्याओं से बचना बहुत जरूरी है। बच्चों में इन गुणों को डेवलप करने के लिए वैसे तो कई बुक पब्लिकेशन काम कर रहे हैं, लेकिन अश्वत्था ट्री के बुक्स इस मामले में जरा हटकर हैं। सबसे खास बात ये है कि अश्वत्था ट्री पब्लिकेशन किसी दूसरे से इन पुस्तकों को नहीं लिखवाता, बल्कि खुद अश्वत्था ट्री की डायरेक्टर तुलिका सिंह ही इन बुक्स को लिखती हैं। तुलिका सिंह ने वर्षों रिसर्च के बाद इन बुक्स को लिखा है। बुक्स राइटिंग का तरीका ऐसा है कि स्टोरीज के कैरेक्टर बच्चों से संवाद करते हैं। बुक्स के ग्राफिक्स, कलर्स का प्रयोग काफी फैमिलियर हैं, पजे वाइज पेज बढ़ती स्टोरीज और उसके साथ आगे बढ़ते इमेजेज के बीच का संतुलन लाजवाब है, जिससे कहानी को समझने, उसे प्रेजेंट करने में बच्चों को काफी आसानी होती है।
विचारों में विविधता और परिपक्वता लाए अश्वत्था
अश्वत्था ट्री की डायरेक्टर और राइटर तुलिका सिंह ने बच्चों के लिए एक से बढ़कर एक किताबें लिखी हैं। लेखिका के कहानी लिखने का अंदाज ऐसा है कि हम जब कहानियों को पढ़ते हैं तो हमारे दिमाग में एक कल्पना बनती है। इससे बच्चों में कल्पनाशीलता और उनकी सोच का दायरा बढ़ता है। ऐसे में उनका दिमाग क्रिएटिव हो जाता है। बच्चे जब उन पुस्तकों को पढ़ते हैं तो उन पुस्तकों में कहानी और उनके पात्र ऐसे हैं कि उनकी मुलाकात लगातार नए किस्म के विचारों से होती है। इससे उनके विचारों में विविधता और परिपक्वता आती है।
अश्वत्था की तारीफ में जब संन्यासी हुए भावविभोर
हाल ही में आयोजित दिल्ली के प्रगति मैदान में विश्व पुस्तक मेले में अश्वत्था ट्री के स्टॉल पर बच्चे ही नहीं, बड़े-बूढ़, साधु-संन्यासी भी आए और उन्होंने अश्वत्था ट्री द्वारा लिखी गई किताबों को लेकर खूब प्रशंसा की। संन्यासियों को भी अश्वत्था की किताबें काफी भाईं। मेले में आए एक संन्यासी जब अश्वत्था के स्टॉल पर पहुंचे तो वे बुक्स को देखकर भावविभोर हो गए। उनका कहना था कि आज की किताबें ज्ञान से दूर हैं। लेकिन अश्वत्था इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। पैसों के लिए तो हर कोई लिख रहा है लेकिन जरूरत है बच्चों के लिए लिखने की, कि क्या लिखा जा रहा है। जरूरत है बच्चों को संस्कारों, संस्कृति के पास ले जाने की। उनका कहना था कि लोगों ने बच्चों को भ्रमित किया है, लेकिन अश्वत्था खुद को जानने का मौका देता है। जबतक बच्चे अपने आप को नहीं जानेंगे, वे अपने संस्कारों से नहीं जुड़ेंगे।
Enlightening conversation with @swamisandeepani ji who emphasized how @Ashwathatree is connecting children with their values & culture. Life's journey begins with oneself. Connect your children with culture & values through #ashwathatreebooks.
Stall No. F-09,Hall No. 3,P. Maidan pic.twitter.com/iQgsIP6AF4
— Ashwatha Tree Books (@Ashwathatree) February 18, 2024
मन को करे कूल, निखारे संपूर्ण व्यक्तित्व
अश्वत्था ट्री ने जिस तरह के बुक्स क्रिएट किये हैं, वो हमारे समाज में बढ़ती मेंटल हेल्थ वाली समस्याओं के लिए बहुत जरूरी है। हमारे यहां मेंटल हेल्थ को आज भी बहुत ज्यादा सीरियसली नहीं लिया जाता, जिस वजह से लोग तनाव, एंग्जाइटी जैसी समस्याओं से जूझने के बावजूद उस पर खुलकर बात करने से हिचकिचाते हैं। तनाव एक ऐसी समस्या है, जो कई बीमारियों की वजह बन सकती है, जिसमें नींद न आने से लेकर पेट साफ न होना, मूड चिड़चिड़ा रहना जैसी प्रॉब्लम्स शामिल हैं। और यहीं अश्वत्था ट्री के बुक्स की सार्थकता समझ में आती है,क्योंकि स्टोरीज के लेशंस से जो सीख मिलती है, वो मन को कूल करते हैं और बच्चों के संपूर्ण व्यक्तित्व में निखार लाते हैं।
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