कश्मीर को उसकी बेपनाह खूबसूरती, बर्फ से ढकी वादियों, ऊंचे-ऊंचे चीड़ और देवदार के वृक्षों, समृद्ध खानपान और विशिष्ट संस्कृति के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। इसकी मोहक छवि को मुग़ल बादशाह जहांगीर के प्रसिद्ध शब्दों से समझा जा सकता है—’गर फिरदौस बर रूये ज़मी अस्त/ हमी अस्तो हमी अस्तो हमी अस्त’—अर्थात्, यदि धरती पर कहीं स्वर्ग है, तो वह यहीं है, यहीं है, यहीं है। यही कारण है कि हर कोई अपने जीवन में एक बार कश्मीर जाने का सपना संजोता है। लेकिन क्या आपको पता है कि कश्मीर की खूबसूरती ही नहीं, बल्कि इसकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत भी इसे विशेष बनाती है? इसी विरासत का एक अनमोल हिस्सा हैं संत लल्लेश्वरी, जिन्हें कश्मीर में ललद्यद के नाम से जाना जाता है।
लल्लेश्वरी का नाम आते ही कश्मीर के हर घर में गूंजने वाले उनके ‘वाख’ की अनुगूंज सुनाई देती है। लल वाख, यानी वह वाणी जो सदियों से कश्मीरी लोगों की आत्मा में बसी हुई है। आपने कई संतों और कवियों के बारे में सुना होगा, लेकिन ललद्यद की कविताओं और उनके संदेशों ने जिस तरह कश्मीर की संस्कृति को प्रभावित किया है, वह अद्वितीय है। प्रसिद्ध फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ में भी एक संवाद में कहा गया था—’मैं उस कश्मीर को जानता हूं जहां आज भी लल्लेश्वरी के वाख सुनाई देते हैं।’ हालांकि, इस संवाद के माध्यम से ज्यादा जानकारी नहीं दी गई, लेकिन बच्चों के लिए लिखी गई Ashwatha Tree Publication की किताब ‘Lal Ded’ इस अनूठी संत के जीवन और शिक्षाओं को बड़े ही सरल और प्रेरणादायक तरीके से प्रस्तुत करती है। यह किताब न केवल संत लल्लेश्वरी के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाओं को सामने लाती है, बल्कि बच्चों को उनकी सोच और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी परिचित कराती है।
इस किताब में बच्चों को यह बताया गया है कि जिस युग में लल्लेश्वरी का जन्म हुआ, उस समय कश्मीर में बाल विवाह आम बात थी। बारह वर्ष की आयु में उनका विवाह एक कश्मीरी पंडित के बेटे से कर दिया गया, लेकिन ससुराल में उन्हें अनेक यातनाओं का सामना करना पड़ा। उन्होंने अपने कठिन जीवन को सहनशीलता और आध्यात्मिक शक्ति से बदला और पितृसत्तात्मक समाज की रूढ़ियों को तोड़ते हुए भक्ति और प्रेम की राह अपनाई। जिस प्रकार हिंदी साहित्य में कबीर के दोहे, मीरा के भजन, तुलसीदास की चौपाइयाँ और रसखान के सवैये लोकप्रिय हैं, उसी प्रकार कश्मीरी भाषा में ललद्यद के वाख आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं। उन्होंने अपने वाखों के माध्यम से जाति और धर्म की सीमाओं से ऊपर उठकर जीवन के गहरे सत्य को उजागर किया। उन्होंने धार्मिक आडंबरों का विरोध किया और प्रेम को सबसे बड़ा मूल्य बताया।
आज जब समाज में विभाजन और भेदभाव बढ़ रहे हैं, ऐसे समय में लल्लेश्वरी के विचारों को समझना और उन्हें बच्चों तक पहुँचाना और भी आवश्यक हो गया है। यह बदलाव तभी संभव होगा जब हम बच्चों को ऐसी शिक्षा दें जो उन्हें मानवता, सहिष्णुता और प्रेम की ओर ले जाए। Ashwatha Tree Publication की लेखिका तुलिका सिंह का मानना है कि बच्चों को उनकी जड़ों और संस्कृतियों से जोड़ने के लिए किताबों से बेहतर कुछ नहीं हो सकता। उनका कहना है कि आज माता-पिता ने अपने बच्चों को गैजेट्स में व्यस्त कर दिया है, जिससे वे किताबों और अपने इतिहास से कटते जा रहे हैं। इसी सोच को बदलने के लिए उन्होंने ऐसी किताबें लिखी हैं, जो बच्चों को वास्तविक नायकों से परिचित कराएं। ये किताबें त्याग, प्रेम, सद्भाव और प्रगति की दिशा में उनका मार्गदर्शन करने का काम करती हैं। उनका मानना है कि बच्चे कल का भविष्य हैं और जब तक वे पढ़ेंगे नहीं, तब तक समाज में बदलाव संभव नहीं है।
अगर आप अपने बच्चों को संत लल्लेश्वरी और भारतीय संस्कृति के महान विचारों से जोड़ना चाहते हैं, तो प्रगति मैदान, नई दिल्ली में आयोजित वर्ल्ड बुक फेयर में जरूर आएं। यह बुक फेयर 9 फरवरी 2025 तक चलेगा, जहां दुनियाभर के कई लेखक अपनी किताबों के साथ मौजूद रहेंगे।
Ashwatha Tree Publication इस बुक फेयर में बच्चों के लिए विशेष रूप से तैयार की गई किताबों की श्रृंखला लेकर आ रहा है। यदि आप अपने बच्चों को ऐसी किताबें देना चाहते हैं, जो न केवल उनकी सोच को विकसित करें बल्कि उन्हें उनकी संस्कृति से भी जोड़ें, तो स्टॉल नंबर P15 (Hall 2) और G-12 (Hall 5) पर जरूर आएं। यहाँ आपको ऐसी अद्भुत किताबें मिलेंगी, जो न सिर्फ संत लल्लेश्वरी के जीवन को समझाने में मदद करेंगी बल्कि बच्चों के भीतर सीखने और सवाल करने की प्रवृत्ति को भी विकसित करेंगी। स्टॉल पर आने के लिए QR कोड स्कैन करें और अपने बच्चों के लिए एक अनमोल उपहार लेकर जाएं।
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आज की पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक विरासत और नैतिक मूल्यों से जोड़ना बहुत आवश्यक हो गया है। ‘Lal Ded’ जैसी किताबें बच्चों को न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण देती हैं, बल्कि उन्हें मानवीयता और करुणा का पाठ भी पढ़ाती हैं। इस बार वर्ल्ड बुक फेयर से अपने बच्चों के लिए एक ऐसा तोहफा लाएं, जो उनकी सोच और जीवन को एक नई दिशा दे सके।
तो देर किस बात की? Ashwatha Tree Publication की किताबें सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं, बल्कि बच्चों को प्रेरित करने और उन्हें जीवन के सही मार्ग पर ले जाने के लिए हैं।