बच्चों की कलम से पर्यावरण की पुकार: ‘चिप-चिप, चिपर कॉलिंग’ बनी नई प्रेरणा

एक सुबह जब सूरज की पहली किरण खिड़की से झांक रही थी, छोटे संकल्प ने चिड़ियों की चहचहाहट को महसूस किया। लेकिन यह एहसास अधूरा था, क्योंकि कुछ साल पहले तक उसके आंगन में गौरैया फुदकती थीं, घर की मुंडेरों पर अपने छोटे-छोटे घोंसले बनाती थीं। लेकिन अब नज़रें दौड़ाने पर एक भी गौरैया नहीं दिखती थी। यही सवाल संकल्प के दिमाग में उमड़ता-घुमड़ता रहा—आखिर ये प्यारी चिड़िया कहां चली गई? बस, इसी सोच ने उसे एक मिशन पर लगा दिया। अपनी रिसर्च और ऑब्जर्वेशन के बाद, संकल्प ने एक किताब लिख डाली—’चिप-चिप, चिपर कॉलिंग’, जिसे Ashwatha Tree Books द्वारा प्रकाशित किया गया। खास बात यह है कि इस पुस्तक के लेखक संकल्प समीर कुमार महज 12 साल के हैं, लेकिन उनकी सोच और समझदारी कई बड़े लोगों को भी प्रेरित कर सकती है।
हालाँकि हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है, लेकिन सवाल उठता है कि हम सिर्फ इसे मनाकर अपनी जिम्मेदारी पूरी समझ लेते हैं या असल में कुछ कर भी रहे हैं? संकल्प की यह किताब सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि एक आंदोलन है—गौरैया संरक्षण का। किताब पढ़ने के बाद बच्चे न केवल गौरैया को बचाने के लिए जागरूक हो रहे हैं, बल्कि अपने घरों और स्कूलों में छोटे-छोटे प्रयास भी कर रहे हैं। संकल्प का मानना है कि अगर बच्चे समझेंगे कि ये नन्हीं चिड़ियां क्यों महत्वपूर्ण हैं, तो वे इसे बचाने की दिशा में भी सक्रिय होंगे।

संकल्प के लिए गौरैया सिर्फ एक पक्षी नहीं, बल्कि उसके बचपन की यादों का एक अहम हिस्सा रही है। शहरीकरण, बढ़ता प्रदूषण, मोबाइल टावरों से निकलने वाली रेडिएशन और आधुनिक इमारतों में घोंसले बनाने की जगह न मिल पाने के कारण गौरैया तेजी से विलुप्त हो रही हैं। यह चिंता संकल्प के मन में घर कर गई और उसने इस विषय पर गहराई से रिसर्च की। किताब में इस बात पर रोशनी डाली गई है कि कैसे हमारे छोटे-छोटे कदम इन पक्षियों के जीवन को बचाने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
Ashwatha Tree Books हमेशा से ऐसी किताबें प्रकाशित करता रहा है जो बच्चों को भारतीय संस्कृति, प्रकृति और जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों से जोड़ें। इसकी डायरेक्टर और लेखिका तुलिका सिंह का मानना है कि बच्चे जब अपनी जड़ों को पहचानेंगे, तभी वे अपने समाज और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बनेंगे। उनकी किताबें सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं होतीं, बल्कि जीवन को बेहतर तरीके से समझने के लिए भी होती हैं।
प्रगति मैदान, नई दिल्ली में आयोजित वर्ल्ड बुक फेयर 2025 में Ashwatha Tree की कई किताबें लोगों के बीच तारीफें बटोर रही है फिर वो चाहे कॉफ़ी टेबल बुक हो या भारतीय संस्कृति की गहराई को समझने की किताबें। बच्चों द्वारा इसे हाथों-हाथ खरीदा जा रहा है, वहीं अभिभावकों ने भी इन किताबों की तारीफ की है।
Ashwatha Tree Books की डायरेक्टर तुलिका सिंह ने कहा कि वे हमेशा से ऐसी किताबों पर काम करना चाहती थीं, जो बच्चों को कल्पना के साथ-साथ वास्तविकता से भी जोड़ें। उनकी किताबों में सिर्फ फैंटेसी नहीं, बल्कि सीखने के महत्वपूर्ण सबक भी होते हैं। उनकी राय में, बच्चों को ऐसी किताबें जरूर पढ़नी चाहिए जो उनके आत्मविश्वास को बढ़ाएं, उन्हें उनकी जड़ों से जोड़ें और समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी का एहसास कराएं।
/https://ashwathatreebooks.com/hanuman-chalisa-for-children/
अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चे को सिर्फ मनोरंजन ही नहीं, बल्कि कुछ नया सीखने को भी मिले, तो ‘चिप-चिप, चिपर कॉलिंग’ जैसी किताबें उनके लिए बेहतरीन विकल्प हैं। यह किताब बच्चों को न केवल गौरैया के संरक्षण के महत्व को समझाएगी, बल्कि उन्हें जिम्मेदार नागरिक भी बनाएगी। इसलिए आप भी विश्व पुस्तक मेले में Ashwatha Tree Books के स्टॉल नंबर P15 (Hall 2) और G-12 (Hall 5) पर जरूर जाएंI

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