बच्चे की उम्र चाहे जो हो, लेकिन हर माता-पिता की उनके भविष्य को लेकर चिंताएं बनी रहती हैं। वे यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनका बच्चा न केवल पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करे, बल्कि जीवन में आगे बढ़कर सफल भी हो। हालांकि, कई बार यह उम्मीद एक दबाव में बदल जाती है। पढ़ाई और बाकी कामों में सर्वश्रेष्ठ बनने की यह होड़ बच्चों के लिए मानसिक तनाव का कारण बन सकती है। इससे वे पढ़ाई से दूरी बनाने लगते हैं और चिड़चिड़े हो जाते हैं। यदि आपको भी लगता है कि आपका बच्चा पढ़ाई में रुचि खो रहा है या व्यवहार में बदलाव आ रहा है, तो सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि इसके पीछे की असली वजह क्या है।
आज के दौर में बच्चों का अधिकतर समय मोबाइल, टैबलेट और अन्य डिजिटल गैजेट्स के साथ बीतता है। स्कूल का होमवर्क हो या निबंध लिखना हो, अधिकांश बच्चे सीधे इंटरनेट का सहारा लेते हैं। अब एआई और चैटजीपीटी जैसी तकनीकों के आने से यह आदत और भी बढ़ गई है। इसका परिणाम यह होता है कि बच्चों में मौलिकता की कमी आने लगती है, वे मेहनत करने से बचने लगते हैं और नई चीज़ों को खुद से समझने के बजाय तैयार जवाबों पर निर्भर हो जाते हैं। ऐसे में बच्चों को एक सही दिशा देने की ज़रूरत होती है। उन पर दबाव डालने के बजाय माता-पिता को उनकी रुचियों को समझकर उन्हें प्रेरित करना चाहिए, ताकि वे खुद से सीखने और सही निर्णय लेने की क्षमता विकसित कर सकें।
बच्चों में स्वाभाविकता और मौलिक सोच विकसित करने के लिए जरूरी है कि वे ऐसी किताबें पढ़ें, जो उन्हें सही दिशा दिखाएं और नैतिकता का पाठ पढ़ाएं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि माता-पिता बाजार में उपलब्ध हजारों पुस्तकों में से कौन सी किताब चुनें? अधिकांश प्रकाशन व्यावसायिक लाभ पर अधिक ध्यान देते हैं, लेकिन Ashwatha Tree Books का उद्देश्य बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण और समाज में सकारात्मक बदलाव लाना है।
Ashwatha Tree Books की डायरेक्टर और लेखिका तुलिका सिंह ने दुनियाभर के अलग-अलग देशों में रहकर जीवन के विभिन्न पहलुओं को देखा और अनुभव किया। वर्षों की रिसर्च के बाद उन्होंने ऐसी किताबें लिखने की पहल की, जो बच्चों के चरित्र निर्माण में मदद करें। उनका मानना है कि आज की तेज़-रफ्तार दुनिया में जहां बच्चों का बचपन गैजेट्स में उलझता जा रहा है, वहां किताबों के माध्यम से उन्हें नैतिकता, परोपकार और सहिष्णुता का पाठ पढ़ाना बहुत आवश्यक है। Ashwatha Tree Books के पात्र बच्चों के साथ संवाद करते हैं, जिससे वे उनमें खुद को देख पाते हैं और कहानी से जुड़ जाते हैं। चाहे वह हनुमान हों, राम हों या संत लल्लेश्वरी, हर कहानी बच्चों को जीवन के महत्वपूर्ण मूल्य सिखाने का काम करती है।
हाल ही में प्रगति मैदान, नई दिल्ली में आयोजित विश्व पुस्तक मेले में Ashwatha Tree Books की हनुमान चालीसा के इस अनूठे संस्करण को स्कूलों और कक्षाओं तक पहुंचाना बेहद जरूरी है। इस हनुमान चालीसा की खासियत यह है कि इसमें भगवान हनुमान की भीमकाय छवि को बच्चों के दोस्त के रूप में दिखाया गया है और हनुमान चालीसा के मतलब को बच्चों के लिए आसान बनाया गया है। अक्सर हनुमान की शक्ति और पराक्रम को प्रदर्शित करने वाली किताबें छोटे आकार में होती हैं, जिससे उनके विशाल व्यक्तित्व की भव्यता खो जाती है। Ashwatha Tree Books ने इस कमी को दूर करते हुए बड़े और कलरफुल चित्रों के साथ हनुमान चालीसा को प्रस्तुत किया है, ताकि बच्चे इसे खेल-खेल में याद कर सकें और अपने अध्यात्म से भी जुड़ सकें।
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Ashwatha Tree Books सिर्फ हनुमान चालीसा ही नहीं, बल्कि वेद, उपनिषद और भारतीय संस्कृति से जुड़ी अन्य किताबें भी प्रकाशित करता है। इन पुस्तकों की खासियत यह है कि वे न केवल सूचनात्मक हैं, बल्कि बेहतरीन चित्रों और बड़े अक्षरों में लिखे गए टेक्स्ट के साथ बच्चों को आकर्षित भी करती हैं। माता-पिता यह देखकर आश्वस्त हो सकते हैं कि इन किताबों को पढ़ने से उनके बच्चे भारतीय संस्कृति और मूल्यों के प्रति अधिक जागरूक बनेंगे।
अगर आप अपने बच्चों को सही किताबों से जोड़ना चाहते हैं, तो प्रगति मैदान, नई दिल्ली में आयोजित वर्ल्ड बुक फेयर में Ashwatha Tree Books के स्टॉल पर ज़रूर आएं। यह बुक फेयर 1 फरवरी से 9 फरवरी 2025 तक चलेगा, जिसमें दुनियाभर के लेखक और पाठक भाग ले रहे हैं। तो इस बार वर्ल्ड बुक फेयर में अपने बच्चों के लिए ऐसी किताबें लाएं, जो उनके चरित्र निर्माण में सहायक हों और उन्हें जीवन के महत्वपूर्ण सबक सिखाएं।